Sat. Nov 23rd, 2024
    इमरान खान

    पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान जल्द ही अमेरिका की यात्रा करेंगे। कांग्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की सुरक्षा सहायता पर रोक बरक़रार रहेगी, जब तक वह आतंकी समूहों के खिलाफ निर्णायक और अपरिवर्तनीय कार्रवाई को अंजाम नहीं देते हैं।

    पाक की मदद पर रहेंगी रोक

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निर्देश पर अमेरिका ने पाकिस्तान की सुरक्षा सहायता को जनवरी 2018 में बंद कर दिया था। यह पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री द्वारा ट्रम्प प्रशासन के दौरान व्हाइट हाउस की उच्च स्तर की यात्रा है। पाकिस्तान पर कांग्रेस की रिसर्च सर्विस रिपोर्ट के मुताबिक, “पाकिस्तान कई इस्लामिक चरमपंथियों और आतंकवादियों का स्वर्ग है और पाक सरकारों ने इसे बर्दाश्त किया हिया और बल्कि पड़ोसी के खिलाफ कार्रवाई में इनका समर्थन भी किया है।”

    अमेरिका की कांग्रेस का सीआरएस एक स्वतंत्र और द्विदलीय अनुसंधान विभाग है। इस रिपोर्ट को इस क्षेत्र के कई दिग्गजों ने मिलकर तैयार की है और इसे अमेरिकी कांग्रेस के अधिकारिक विचारों के तौर पर नहीं देखा जाता है। सीआरएस की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2011 तक अलकायदा के सरगना ने सालो तक पाकिस्तान में लुत्फ़ उठाया था।

    इसपर कांग्रेस में सवाल भी उठाया गया कि जिस राष्ट्र में एक प्रभावी साझेदार बनने का न काबिलियत हो न ही इरादा हो, उसे सुरक्षा सहायता मुहैया करने में क्या बुद्धिमता है। ट्रम्प प्रशासन ने पाकिस्तान पर काफी सख्त रवैया अख्तियार किया है।

    आतंकवादियों का संचालन अभी भी जारी

    अमेरिका बाहर हमला करने वाले आतंकवादी समूहों और पाक सरजमीं पर मौजूद यूएन द्वारा प्रतिबन्धि आतंकी संगठनो के खिलाफ निर्णायक और अपरिवर्तनीय कार्रवाई के खिलाफ दबाव बना जारी रखेगा। इस कार्रवाई के लंबित रहने तक सुरक्षा सहायता पर रोक बरकारा रहेंगी।

    सितम्बर 2018 की इस्लामाबाद यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने करने पर बातचीत की थी। अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पियो ने उम्मीद व्यक्त की कि शायद अमेरिका पाकिस्तान के नए नेतृत्व के साथ एक मार्ग ढूंढ ले लेकिन संयुक्त अविश्वास का साया दोनों देशों के संबंधों में दिखा और अमेरिका ने लाभ को कम कर दिया था।

    2017 के मध्य में प्रशासन ने विदेशी सैन्य सहायता के 25.5 करोड़ डॉलर को रोकने का ऐलान किया था और जनवरी 2018 में सीमा सुरक्षा सहायता पर रोक लगाने का ऐलान किया था। पाकिस्तानी राजनेताओं और विश्लेशको ने इस निर्णय की आलोचना की और कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी नीतियों की विफलता के लिए उनके देश को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।

    चीन के कर्ज का भार

    रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सरकार के नियंत्रण वाले इलाको में अभी कई आतंकी समूह संचालन कर रहे हैं, कई को विदेशी आतंकी संगठन करार दिया गया है। साल 2014 में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख अभियानों के कारण घरेलू आतंकवाद की घटनाएं कम हुई है।

    कई बाहरी आतंकी समूह मसलन लश्कर ए तैयबा पाकिस्तान में खुला घूम रही है और राज्य तत्व उनका समर्थन भी करते हैं। पाकिस्तान में अलकायदा और आईएसआईएस के नेटवर्क भी मौजूद है। भारत के साथ पाकिस्तान का संघर्ष और दुश्मनी जारी है और इससे दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच जंग की संभावनाए हैं।

    रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान पर चीन के कर्ज का भार बढ़ता जा रहा है और चीनी कर्ज को कम करने के लिए आईएमएफ से बेलआउट पैकेज लिया जा रहा है। हालाँकि इससे पक्सितन ने इंकार किया है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *