भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर पर तनाव और जारी अफगान शान्ति वार्ता के बीच अमेरिकी विदेशी नीति के विशेषज्ञ ने ट्रम्प प्रशासन को पाकिस्तान को रणनीतिक साझेदार बनाने और भारत से दूरी बनाने के लिए चेतावनी दी है। विदेशी संबंधो की परिषद् के प्रमुख रिचर्ड एन एस ने कहा कि पाकिस्तान को रणनीतिक साझेदार बनाना अमेरिका की मूर्खता है।
हास ने लेख में कहा कि “पाकिस्तान काबुल में एक अपने अनुकूल सरकार देख रही है जो उसकी सुरक्षा के लिए अहम है और ताकि उसके कट्टर प्रतिद्वंद्वी भारत को टक्कर दे सके।” हास का ये लेख पहले प्रोजेक्ट सिंडिकेट में प्रकाशित हुआ और इसके बाद ये सीएफआर की वेबसाइस पर भी जारी हुआ है।
हास ने कहा कि “इस पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं कि सेना और खुफिया एजेंसी, जो पाकिस्तान को अभी भी चला रही है, तालिबान पर लगाम लगाएगी या आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करेगी।” इसी तरह भारत से दूरी बनाना अमेरिका की बेवकूफी होगी। हां, भारत में संरक्षणवादी व्यापार नीतियों की परंपरा रही है और अक्सर रणनीतिक मुद्दों पर सहयोग करने की अनिच्छा अमेरिकी नीतियों को निराश जरुर करती है।”
उन्होंने लिखा कि “लेकिन लोकतांत्रिक भारत, जो जल्द ही चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ अग्रसर है, पर दांव से लम्बे समय का सुखमय फल मिलेगा।”
उनका कहना है कि “यह चीन को पछाड़ने के लिए भारत अमेरिका का एक स्वाभाविक साझेदार है। भारत ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में भागीदारी से स्पष्ट तौर परे इनकार कर दिया था जबकि आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने इसे गले लगा लिया था।”
शीर्ष प्रमुख ने कहा कि अमेरिका का अफगानिस्तान से बाहर निकलने की होड़ भी अविवेकपूर्ण होगी। उन्होंने दावा किया कि तालिबान के साथ शांतिवार्ता अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों को निकालने का लौ धीमी प्रतीत होती है।