पाकिस्तान में सोमवार को अमेरिकी अधिकारीयों और तालिबानी प्रतिनिधियों के मध्य आयोजित मुलाकात को स्थगित कर दिया गया है।
ट्रिब्यून के मुताबिक तालिबान ने बयान जारी कर कहा कि “अफगानिस्तान में दो दशक से जारी संघर्ष का अंत करने के लिए हम शान्ति प्रक्रिया पर बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इस बैठक में अधिकतर सदस्य हिस्सा नहीं ले सकते हैं क्योंकि वे यूएन या यूएस द्वारा प्रतिबंधित है।
अफगान सरकार का विरोध
अफगानिस्तान विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के समक्ष एक आधिकारिक अर्जी दाखिल की है। जिसमें इस बैठक के खिलाफ आपत्ति जताई गयी है। शिकायत में अफगान सरकार ने लिखा कि पाकिस्तान द्वारा आमंत्रित अधिकतर तालिबान अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबन्ध लगा हुआ है और यह सरासर अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि “अफगानिस्तान में शान्ति के नाम पर हुए इस समझौते में अफगान सरकार की राय या समन्वय को नज़रअंदाज़ किया गया है।” अफगानिस्तान ने शिकायत की कि पाकिस्तान सरकार ने तालिबानी प्रतिनिधियों को उच्च स्तर की बैठक के लिए आमंत्रित किया, जिसमे प्रधानमंत्री इमरान खान भी शरीक होंगे। उन्होंने कहा कि “यह बेहद अफसोसजनक है कि वह एक हथियारबंद समूह को वैधता और पहचान देने की इच्छा रखते हैं जो अफगानिस्तान की स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।”
तालिबान के प्रतिबंधित सदस्यों की यात्रा
हैरतंगेज़ है कि तालिबान ने इसका खुलासा नहीं किया कि ऐसी ही यूएई और रूस में आयोजित बैठक में तालिबान के प्रतिनिधि किस प्रकार यात्रा करने में समर्थ रहे थे। तालिबान का आधिकारिक दफ्तर क़तर में हैं, जहां वार्ता समूह रहता है। इस माह के शुरुआत में यूएन ने ऐसी ही एक शिकायत अर्जी यूएन के समक्ष पेश की थी, जिसमे तालिबान सदस्यों की मास्को यात्रा पर आपत्ति जताई गयी थी।
काबुल ने कहा कि रूस ने तालिबान प्रतिनिधियों को यात्रा की आज़ादी दी, जबकि वह अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा प्रतिबंधित थे।इस बैठक का अफगानिस्तान शुरुआत से ही विरोध कर रहा था। उन्होंने कहा कि यह सरासर अफगानी नेतृत्व और नियंत्रित शान्ति प्रक्रिया के खिलाफ है।