अमेरिका ने केरी लूगर बर्मन एक्ट के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद में 44 करोड़ डॉलर की कटौती कर दी है। इस कटौती के बाद पाकिस्तान को 4.1 अरब डॉलर की रकम दी जाएगी। पाकिस्तान अमेरिका से यह आर्थिक मदद पाकिस्तान के एन्हांस पार्टनरशिप एग्रीमेंट (पेपा) 2010 के जरिये लेता है।
आर्थिक मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, 90 करोड़ डॉलर की बची हुई अमेरिकी मदद पाने के लिए पाकिस्तान ने पिछले सप्ताह ही पेपा की समय सीमा में वृद्धि हुई थी। आर्थिक मदद में कटौती के फैसले के बारे में पाकिस्तान को इमरान खान के अमेरिकी दौरे से तीन सप्ताह पहले ही आधिकारिक सूचना दे दी गई थी।
अक्तूबर, 2009 में अमेरिकी कांग्रेस ने ‘केरी लूगर बर्मन ऐक्ट’ पास किया था। इसे लागू करने के लिए सितंबर, 2010 में पेपा पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत पाकिस्तान को पांच साल की अवधि में 7.5 अरब डॉलर की मदद दिए जाने की व्यवस्था की गई थी।
अमेरिका ने वर्ष 2001 के बाद से पाकिस्तान को सभी माध्यमों से करीब 8.2 अरब डॉलर की आर्थिक मदद का वादा किया था जिसमें से 6.6 अरब डॉलर की मदद उसे दी जा चुकी है। यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विकासशील देशों को दी जाने वाली मदद को घटाने की रणनीति का ही हिस्सा है।
जनवरी, 2018 में ट्रंप ने एक ट्वीट में पाकिस्तान को जमकर खरी-खोटी सुनाई थी। साथ ही पाकिस्तान को दी जाने वाली 1.3 अरब डॉलर की सुरक्षा मदद राशि बंद कर दी थी। ट्रंप ने फटकार लगाते हुए कहा था कि पाकिस्तान ने झूठ और धोखे के अलावा अमेरिका को कुछ नहीं दिया था।
रक्षा सचिव जेम्स मैटिस और अन्य अधिकारियों ने इस्लामाबाद द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न करने की आलोचना की थी। बीते महीने इमरान खान से मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस्लामाबाद के व्यवहार की आलोचना की थी ।
उन्होंने कहा था कि हम कई सालों से पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर की रकम वित्तीय मदद के तौर पर दे रहे है। पाकिस्तान ने हमारे लिए कुछ भी नही किया है। वे हमारे खिलाफ जा रहे हैं।