अफगानिस्तान के चरमपंथी समुदाय तालिबान ने बुधवार को ऐलान किया कि आगामी सप्ताह अमेरिका और पाकिस्तान के अधिकारीयों से इस्लामाबाद में मुलाकात करेंगे। यह जारी अफगान शान्ति वार्ता के तहत मुमकीन होगा। हालाँकि अफगानिस्तान और वांशिगटन ने इस घोषणा की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि “पाकिस्तान सरकार की तरफ से आधिकारिक आमंत्रण आया है। 18 फरवरी, 2019 को इस्लामाबाद में एक अन्य मुलाकात का आयोजन भी होगा,जिस दौरान तालिबान प्रतिनिधियों और अमेरिका के मध्य बातचीत की जाएगी।
रायटर्स के मुताबिक तालिबान की टीम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से भी मुलाकात करेगी। तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि नियमित वार्ता का समय 25 फरवरी को तय किया गया है। उन्होंने कहा कि इमरान खान से मुलाकात के दौरान वह पाक-अफगान संबंधों पर व्यापक चर्चा करेंगे और अफगान कारोबारियों व अफगान शरणार्थियों से सम्बंधित मसलों को रखेंगे।
पाकिस्तान की तरफ से इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक “तालिबान के प्रतिनिधि इस्लामाबाद आएंगे और अमेरिकी व पाकिस्तानी अधिकारीयों से बातचीत करेंगे।”
हाल ही में तालिबान ने दावा किया कि अमेरिका अगले 18 महीनों में अफगानी सरजमीं से सभी विदेशी सैनिकों को वापस ले जाने के प्रस्ताव पर तैयार हो गया है। शनिवार को दोनों पक्षों के मध्य हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है। अफगानिस्तान में बीते 17 सालों से संघर्ष बना हुआ है, इतने सालों से ही नाटो के सैनिक वहां मौजूद हैं।
हाल ही में यूएई में तालिबान प्रतिनिधियों ने अफगान सरकार के अधिकारीयों, अमेरिकी राजदूत व अन्य लोगों से शांति के बाबत बातचीत की थी। साल 1996-2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार रही थी। केवल सऊदी अरब, यूएई और पाकिस्तान ने तालिबान की सरकार को मान्यता दी थी।
अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में तालिबान को शामिल करने के लिए अमेरिका इच्छुक हैं और तालिबान को एक सुरक्षा तंत्र का ऑफर दिया है, जिसमे विद्रोहियों के लिए नौकरी के अवसर होंगे। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, रूस, चीन और अन्य विश्व के देश तालिबान को अफगान शांति प्रक्रिया में शामिल करने के प्रयासों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
नवम्बर में नाटो के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अशरफ गनी की सरकार का प्रभाव या नियंत्रण 65 फीसदी जनता पर है लेकिन अफगानिस्तान के 407 जिले ही अफगान सरकार के पास है। तालिबान के दावे के मुताबिक वह देश के 70 फीसदी भाग पर नियंत्रण करता है।