ट्रम्प प्रशासन ने कहा कि पाकिस्तान की रोकी गयी सैन्य सहायता राशि तब तक बहाल नहीं की जाएगी जब तक इस्लामाबाद आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करता है। अमेरिका के मुताबिक पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए जन्नत है।
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और राज्य सचिव माइक पोम्पेओ ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ वार्ता की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आंतंकवाद के खिलाफ जमीनी स्तर पर कोई कार्य होता नज़र नहीं आ रहा है।
तालिबान पर पाकिस्तान का प्रभाव के कारण अमेरिका चाहता है कि इस्लामाबाद तालिबान को शांति स्थापित करने के लिए रजामंद करे। शाह महमूद कुरैशी और माइक पोम्पेओ ने वार्ता से पूर्व हाथ मिलाते हुए तस्वीर खिंचवाई।
वांशिगटन में स्थित पाकिस्तानी दूतावास ने बताया कि दोनों देशों के नेताओं के मध्य द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत होगी।
शाह महमूद कुरैशी ने कहा की वांशिगटन और इस्लामाबाद की दोस्ती दोनों राष्ट्रों के हित में है। साथ ही इससे दक्षिण एशिया में स्थिरता बनी रहेगी।
उन्होंने कहा दोनों राष्ट्रों के अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के मंसूबे हैं। शाह महमूद कुरैशी ने दोहराया कि अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता के लिए पाकिस्तान का समर्थन बेहद जरूरी है। फौज के बलबूते परिणाम शून्य ही मिलेगा।
उन्होंने कहा अमेरिका और पाकिस्तान का दक्षिण एशिया में शांति कायम रखने का एकमात्र मकसद है। इसमें जम्मू कश्मीर का विवाद भी शामिल है जहां अस्थिरता बनी हुई है।
डोनाल्ड ट्रम्प का पिछले साल अगस्त में दक्षिण एशिया नीति और अफगान नीति का ऐलान करने के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के बीच तनाव उत्पन्न हो गया था।
अमेरिका ने पाकिस्तान पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा था कि इस्लामाबाद के आतंकियों का पनाहगार बनने से उन्हें बहुत कुछ गंवाना पड़ सकता है। यही आतंकी अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की हत्या करते है।
पिछले माह डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान को दी वाली 300 मिलियन की आर्थिक सैन्य सहायता पर पाबन्दी लगा दी थी। अमेरिका ने इस्लामाबाद पर आरोप लगाया कि वह आतंकी समूहों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं कर रहा है।