अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के दावे पर पलटवार किया है कि कश्मीर का मसला जारी अफ़ग़ान शान्ति प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि “इस्लामाबाद की तरफ से ऐसे बेतुके और अनुचित बयान तालिबान के खिलाफ कार्रवाई को स्पष्ट करने का बेहद बेकार बहाना है।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है। काबुल ने आतंकवादियों को पनाह देने के लिए इस्लामाबाद की आलोचना की थी। जो इस्लामाबाद की सरजमीं से संचालित करते है और निरंतर अफगान सुरक्षा को नजरंदाज़ करता है।
अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत असद मजीद खान के बयान के जवाब में अफगान सरकार ने पलटवार किया था। पाक राजदूत ने कहा कि कश्मीर से अफगानिस्तानी सीमा पर इस्लामाबफ़ सैनिको की पुनर्तैनाती कर सकता है और यह सब तालिबान के साथ अमेरिकी शांति वार्ता को जटिल बना सकता है।
बयान में अमेरिका में अफगानी दूतावास ने रविवार को कहा कि “ऐसे बयान जो कश्मीर के हालातो के साथ अफगान शांति प्रक्रिया के इर्द गिर्द घूमते है, यह बेतुके, अनुचित और गैरजिम्मेदाराना है। अफगानिस्तान के मुताबिक, कश्मीर मुद्दे से अफगानिस्तान को जानबूझकर जोड़ने का पाकिस्तान का मकसद अफगान की धरती पर जारी हिंसा को और बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि “उनके पाकिस्तानी समकक्ष का बयान सकारात्मक और रचनात्मक मुलाकात के ठीक विपरीत है जो अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की हालिया यात्रा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तथा पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बीच हुई थी।”
बयान में बताया कि अफगानिस्तान से पाकिस्तान को कोई खतरा नहीं है। अफगानिस्तान की सरकार पश्चिमी इलाके में हजारो सैनिको की तैनाती का कोई कारण नहीं समझता है।
पाकिस्तान की तरफ से चीन ने यूएनएससी की गुप्त बैठक को बुलाने की मांग की थी। पत्रकारों से बातचीत में भारत के यूएन ने स्थायी प्रतिनिधि सईद अकबरुद्दीन ने कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है।