चीन ने शपथ ली कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मध्य लम्बे समय से उपजे संदेह को वह दूर करेगा। शनिवार को तीनों देशों के अधिकारियों ने कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की थी। इस बैठक का मकसद तालिबान से अफगानिस्तान में युद्ध के खात्मे के लिए बातचीत करना था।
अफगान और पाक के मध्य शांति
चीन की सरकार के वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ और विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाकात की थी, ताकि अफगानिस्तान में शांति के लिए सरकार के तालिबान के साथ बातचीत के प्रयासों को सहयोग किया जा सके।
वांग यी ने कहा कि चीन ने इसे मंज़ूरी दे दी है और पाकिस्तान व अफगानिस्तान को अपने संबंधों में सुधार के लिए हर तरीके का सहयोग करने को तत्पर है। चीन क्षेत्रीय प्रभुत्व को बढ़ाना चाहता है, ताकि बीआरआई परियोजना को मुक्कमल किया जा सके।
साल 2015 में अफगान सरकार और तालिबान के मध्य सीधे बातचीत रद्द कर दी गयी थी। तालिबान मि मांग है कि अफगानिस्तान की सरजमीं सर विदेशी ताकतों को खदेड़ दिया जाए और देश मे सख्त इस्लामिक कानून लागू किया जाए। तालिबान ने पश्चिमी सरकार के समर्थन से सीधे बातचीत के लिए हमेशा इनकार किया है।
17 साल से जारी इस जंग में हजारों लॉगिन की मौत हुई है। अमेरिका ने इस अभियान की शुरुआत साल 2001 में कई थी।
हाल ही में राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान के साथ बातचीत के लिए 12 ताकतवर लोगों की एक टीम का गठन किया था। उन्होंने कहा कि इस योजना को अमल में लाने के लिए तक़रीबन पांच सालों का समय लग जायेगा।
चीनी विदेश मंत्री
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन पकिस्तान और अफगानिस्तान के शांति प्रयासों का समर्थन करता है और हम तालिबान को शांति प्रक्रिया में सहयोग के लिए न्योता देते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों राष्ट्र मैत्रीपूर्ण बातचीत से सभी विवादों को सुलझाने के लिए रजामंद है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि इस्लामाबाद अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आरोपों से कोई आगे नहीं बढ़ पायेगा। उन्होंने कहा कि अब दोनों राष्ट्रों को एक- दूसरे पर ऊँगली उठाने से बाज आना चाहिए, उन्होंने कहा कि मैं यहाँ दोनों राष्ट्रों के मध्य संयुक्त भरोसा जगाने के लिए आया हूँ और अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया शुरू होगी।
इस माह के शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान में शांति वार्ता के लिए पाकिस्तान के सहयोग की मांग की थी।