Sat. Nov 16th, 2024
    अफगानिस्तान

    अफगानिस्तान, इराक ने सैन्य सेवा देने वाले और पश्चिमी अफ्रीका में मानव मिशन पर अमेरिका की सेना के सेवानिवृत्त कर्नल ने पाकिस्तान पर दोटूक रवैये का आरोप लगाया और कहा कि इसी कारण अमेरिका को अफगानिस्तान में हानि हो रही है।

    लॉरेंस सेलिन ने अपने आर्टिकल में कहा कि “बीते 17 वर्षों से चरमपंथ विरोधी सिद्धान्त को गलत तरीके से पाकिस्तान के अमेरिका और अफगानिस्तान के खिलाफ अमल में लाया जा रहा था। उसी वक्त हम पाकिस्तान को अपने खिलाफ कार्रवाई से बचने के लिए सहायता पैकेज के रूप में रिश्वत दे रहे थे जिसे उसने अपने राष्ट्रीय हित के लिए इस्तेमाल किया था।”

    उन्होंने कहा कि “जब तक अफगानिस्तान में हमारे सैनिको की सप्लाई पाकिस्तान के नियंत्रण में थी, चरमपंथ रोधी अभियान कभी एक जीतने वाली रणनीति नहीं रही थी और इस अभियान को अपनी प्रॉक्सी आर्मी तालिबान के जरिये नियंत्रित करता था। तालिबान का प्रशिक्षण, भर्ती और वित्तीय पोषण पाकिस्तान के अंदर होता था।

    अमेरिका ने साल 2001 में अफगानिस्तान में अलकायदा के आतंकियों को तबाह करने के लिए प्रवेश किया था। उन्होंने तालिबान को सत्ता से उखाड़ने की कोशिश की थी ताकि आतंकी समूहों की सुरक्षित पनाह को खत्म किया जा सके। अमेरिका के इतिहास में अफगानिस्तान की जंग सबसे बड़ी रही है।

    उन्होंने कहा की “अमेरिका से पाकिस्तान के अफगानिस्तान के बाबत उद्देश्य हमेशा अलहदा रहे थे। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में न सिर्फ अमेरिका की मदद नहीं की बल्कि उनका शुरुआत से ही सहयोग तालिबान को था। पाकिस्तान ने सक्रियता से हमारे हितो के खिलाफ कार्य किया है और वह जंग को भड़काने और बेकसूर लोगो की मौत का जिम्मेदार है।

    हक़ानी नेटवर्क का नेता जलालुद्दीन हक्कानी का पूर्वी अफगानिस्तान के खोस्त क्षेत्र में नियंत्रण था और वहां अधिकतर ओसामा बिन लादेन के प्रशिक्षण शिविर और समर्थक थे। साल 1980 के दौर में सीआईए का नियंत्रण था। अमेरिका को शुरुआत से ही पाकिस्तान के दोहरे चरित्र का बोध था।

    उन्होंने कहा कि “मुझे संघर्ष के शुरुआत से ही मालूम था कि पाकिस्तान की आईएसआई के सलाहकार तालिबान को विशेषता और उपकरण से मदद करते थे और 17 सालो तक पाकिस्तान का यही अंदाज़ कायम रहा था। बीते वर्ष अफगानिस्तान की प्रांतीय राजधानी ग़ज़नी में तालिबान के हमले के दौरान कई पाकिस्तानी नागरिकों की मौत हो गयी थी और नागरिकों के शवों को इस्लामाबाद को लौटाया गया था।

    हाल ही में जारी वीडियो में अलकायदा ने तालिबानी चरमपंथ का खुलकर समर्थन किया है। पाकिस्तान के जिहादियों सहित सभी लड़ाके तालिबान के इस्लामिक अमीरात ऑफ़ अफगानिस्तान के लिए एकजुट होकर लड़ रहे हैं। जबकि  अमेरिका के नेताओं और वरिष्ठ सैन्य अधिकारीयों ने कुछ भी किया है। अफगानिस्तान में अमेरिका को जीत हासिल न हो पाना एक जटिल सवाल बना हुआ है।

    अधिकारी ने दावा किया कि खुलेआम ऐलान किया कि उन्होंने अमेरिका को धूल चटाई है। पाकिस्तान की आईएसआई के पूर्व प्रमुख, एक रूढ़िवादी इस्लामिक और तालिबान का गॉडफादर हामिद गुल ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि “एक दिन इतिहास कहेगा कि आईएसआई ने अमेरिका की मदद से अफगानी सरजमीं से सोवियत संघ को बाहर कर दिया और आईएसआई ने अमेरिका की मदद से ही अमेरिका को अफगानिस्तान से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *