जम्मू कश्मीर के भागो पर पाकिस्तान के गैरकानूनी कब्जे के मुद्दे को उठाते हुए राजनाथ सिंह ने दक्षिण कोरिया से संरचनाओं और अन्य परियोजनाओं में निवेश पर रोक लगाने का आग्रह किया है और बताया कि चीन-पाक आर्थिक गलियारा भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करता है।
पीओके में निवेश
सूत्रों के मुताबिक, सिंह ने दक्षिण कोरिया की कंपनियों पर चिंता व्यक्त की है जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में परियोजनाओं का निर्माण करने जा रही है। उन्होंने कोरिया के प्रधनामंत्री ली नाक योन से मुलाकात में यह बात कही थी। कोरिया ने भारत को सुनिश्चित किया था कि कोई भी सरकार पीओके में संचालित कंपनियों को मदद मुहैया करने की अनुमति नहीं देगी क्योंकि यह साल 2014 में लागू की गयी नीति है।
कोरियाई ने सरकार को बताया कि विवादित इलाके में परियोजनाओं का निर्माण करने वाली कंपनियों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले फायदे जैसे सब्सिडी और शुल्क कटौती की सुविधा नहीं दी जाएगी। सिंह ने कोरिया को जम्मू कश्मीर से व्सिहेश राज्य का दर्जा हटाने के पीछे की वजह भी बताई है।
पीओके में निवेश के बाबत भारत ने अपनी चिंताओं को मैत्रीपूर्ण देशो के साथ साझा किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में दक्षिण कोरिया के राजदूत ने सुनिश्चित किया कि निवेश जारी रहेगा। सिंह ने गुरूवार को सीओल रक्षा वार्ता को संबोधित किया था और कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप में शान्ति और स्थिरता लाने के प्रयासों और इसका निरस्त्रीकरण बातचीत और कूटनीति के जरिये करने का भारत ने हमेशा समर्थन किया है।
आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई
रक्षा मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट कार्रवाई की मांग की है। सिंह ने इंडो पैसिफिक में सभी राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर भारत की स्थिति को बताया है और कहा कि नियम और कायदे आम सहमती के आधार पर होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि “हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जो देश आपसी सौहार्द से काम कर रहे है उन्हें हर मुल्क में जाने का अवसर मुहैया कराना चाहिए। साथ ही समुद्री और हवाई क्षेत्र में पहुंचने का समान अधिकार देना चाहिए। भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक खुले और समावेशी ढांचागत विकास की वकालत करता हैं।”
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरूवार को कहा कि भारत इतिहास में कभी आक्रमक नहीं रहा था लेकिन आत्मरक्षा के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाएगा।