पाकिस्तानी सेना ने स्वात जिले के नियंत्रण को प्रशासनिक विभाग को सौंप दिया है। दशकों के चले आ रहे पाकिस्तानी तालिबानी आतंकियों के खात्मे के अभियान के अंत से नोबेल पुरुस्कार विजेता मलाला युसुफजई के गृह नगर में आखिरकार शांति स्थापित हो गयी है।
पाकिस्तान आर्मी को साल 2007 में खैबर पख्तून्वा के स्वात जिले में भेजा गया था। वहां स्थापित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के प्रमुख मौलाना फजलुल्लाह ने राज्य में शरिया अदालत स्थापित करने की चुनौती दी थी।
तालिबान ने इस अभियान का विस्तार कर अन्य नजदीकी इलाकों में भी आतंक का जाल बिछा लिया था। आतंकी गुट ने महिला शिक्षा, औरतों के लिए बुर्का पहनना आनिवार्य और पुरुषों को दाढ़ी रखने जैसे कई बंदिशे लगाई थी। साल 2009 में सरकार ने टीटीपी के खिलाफ एक विशाल सैन्य अभियान चलाया था। स्वात, बुनेर और अन्य जिलों से नागरिकों को जबरन उनके घर छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा था।
मलाला युसुफजई और भारत में बच्चों के अधिकार के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी को साल 2014 में नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया था। मलाला युसुफजई को साल 2012 में महिलाओं की शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ने के कारण तालिबान ने उनके गृहनगर स्वात में गोली मार दी थी। 15 वर्षीय मलाला बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए ब्रिटेन चली गयी थी। बीते मार्च में वह पाकिस्तान में अपने गृहनगर गयी थी।
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सेना एक सम्मेलन के दौरान प्रशासनिक विभाग को जिले का नियंत्रण सौंप दिया था। नियंत्रण के दस्तावेजों को सेना खैबर पख्तून्वाके मुख्यमंत्री के सुपुर्द कर दिया था। इस इलाके के बुजुर्ग समेत प्रशासनिक और सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी इस सम्मेलन में शरीक हुए थे।
अधिकारी ने बताया कि सेना ने आतंकवाद के खिलाफ सफलतापूर्वक अभियान चलाया और स्वात में शांति की स्थापना की है। प्रशासनिक विभाग को निंयत्रण सौंपकर सेना नें इतिहास रचा है।
लेफ्टिनेट जनरल एहमद ने कहा कि आतंकियों के इस इलाके पर कब्जे के कारण स्वात जिले से 3.5 मिलियन लोग विस्थापित हो गए थे।