Mon. Dec 23rd, 2024
    पाकिस्तान की रेको डिक

    पाकिस्तान की सेना विश्व के सबसे विशाल कॉपर और गोल्ड के खदानो का विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।जिसे विदेशी खनन फर्म के साथ कानूनी पछड़े के कारण मौजूदा समय में ठप कर रखा है। रेको डिक खदान प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए विदेशी निवेश को गंभीरता से आकर्षित करने की काबिलियत की परीक्षा होगी। आर्थिक संकट के कारण इमरान खान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज लेना पड़ रहा है।

    रायटर्स के मुताबिक बलूचिस्तान क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों ने बताया कि “रेको डिक के भविष्य के लिए सेना की मौजूदगी बेहद महत्वपूर्ण होती जा रही है। यह रणनीतिक लिहाज से राष्ट्रीय संपत्ति है। सेना इस स्थिति में नहीं है कि इसके विकास के लिए निवेशक का वहयं कर सके। लेकिन सेना द्वारा नियंत्रित फ्रंटियर वर्क आर्गेनाईजेशन इस संघ में खुद की सदस्य की स्थिति देने में जुटा हुआ है।

    रेको डिक में सेना के बाबत सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि “राष्ट्रीय जरुरत के अनुसार ही सेना सरकार के रेको डिक के विकास की योजना में सिर्फ शामिल हो सकती है। अगर इस विकास कार्य के अवसरों में वृद्धि होती है तो एफडब्ल्यूओ प्रोजेक्ट की वित्तीय उपयुक्तता के लिए अन्य प्रतिद्वंदियों के साथ भी कार्य कर सकता है।”

    पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि “सरकारी विभाग ने रेको डिक के कार्य के लिए बलूचिस्तान प्रान्त के दक्षिणी पश्चिमी इलाके से चरमपंथियों का सफाया कर दिया है। इमरान खान ने यह निर्णय लिया था लेकिन जाहिर है इसमें सेना और सभी हितधारकों ने महत्वपूर्ण किरदार निभाया है।”

    reko diq mine

    इस प्रोजेक्ट के पीछे की पैंतरेबाज़ी प्रदर्शित करती है कि कैसे सेना संघीय और प्रांतीय स्तरों की सरकार पर अपना नियंत्रण कायम रखती है। पाकिस्तान में विदेशी और सुरक्षा नीतियों पर सेना का बोलबाला रहा है, लेकिन अब वह राष्ट्रों के कारोबारी मसलों में भी दिलचस्पी ले रहे हैं।

    पाकिस्तानी मिलिट्री में वैज्ञानिक और और लेखक डॉक्टर आसिया सिद्दीकी के हवाले से एशिया टाइम ने लिखा कि “प्राइवेट कारोबार में आर्मी का शेयर 100 अरब डॉलर से अधिक है। उन्होंने खुलासा किया है कि पाकिस्तान में फौजी फाउडेशन उनका उभरता हुआ सैन्य कारोबार है। साल 2005 में चयनित संसद ने शुगर मिल्स के विवादित कारोबारी ट्रांसक्शन पर सवाल उठायें थे, इस पर पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने संसद को अपमानित किया था।

    इस प्रोजेक्ट में निवेश के लिए इस्लामाबाद नए निवेशकों की तलाश कर रहा हैं हालाँकि निवेशकों पर पाकिस्तानी सेना का आशीर्वाद जरूर होना चाहिए। बाररिक गोल्ड और एंटोफ़गास्ता ने रेको डिक में साल 2011 के दौरान 22 करोड़ डॉलर निवेश किये थे। लेकिन सरकार ने उन्हें खनन के लिए इजाजत देने से इंकार कर दिया था। हालाँकि साल 2017 में विश्व बैंक के इंटरनेशनल सेंटर फॉर सेटलमेंट ऑफ़ इन्वेस्टमेंट डिस्प्यूट ने पाकिस्तान को कसूरवार ठहराया था।

    सूचना मंत्री चौधरी ने बताया कि सरकार मौजूदा निवेशक के साथ समझौते के लिए और क्षमतावान निवेशकों के साथ संपर्क में हैं। पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने बीते अक्टूबर में कहा था कि “सऊदी अरब ने रेको दिक के विकास के बाबत जानकारी ली है और अन्य सरकारी अधिकारी ने बातचीत जारी होने की पुष्टि की है।”

    बीते तीन वर्षों के पूर्व आर्मी का निवेश सैकड़ों में था लेकिन अब 100 अरब डॉलर में है। सेना के कारोबार में मौजूदा विस्तार तेल क्षेत्र से हो रहा है। इसके साथ ही सेना पकिस्तान कई कारोबार की कंपनियां चलाती है, यह बैंक, फ़ूड, रिटेल सुपरस्टोर, सीमेंट, रियल एस्टेट, हाउसिंग कंस्ट्रक्शन, प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विस और इंश्योरेंस हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *