पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कॉमन के मंच से कश्मीर मसले को उठाएंगे, वह अगले हफ्ते ब्रिटेन की यात्रा पर जायेंगे। भारत ने ब्रिटेन के इस कदम पर कड़ा प्रतिरोध जताया है। ब्रिटेन ने भारत को यकीन दिलाते हुए कहा कि शाह महमूद कुरैशी ब्रिटेन की अधिकारिक यात्रा पर नहीं आयेंगे और ब्रितानी सरकार व पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बीच को अधिकारिक मुलाकात नहीं होगी।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री की लन्दन में कश्मीर मामले पर हो रहे प्रदर्शन में शामिल होने की भी उम्मीद है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता मिर्वैज़ उमर फारूक को कश्मीर मसले पर अपनी सरकार के प्रयासों के बाबत बताया था।
सूत्रों के मुताबिक भाररत ने इस विरोध को अधिकारिक तौर पर ब्रिटेन के समक्ष उठाया है। “हमने इस मसले को ब्रितानी विभाग के समक्ष उठाया है और वह हमारी भावनाओं और यात्रा के समय से वाकिफ है। शाह महमूद कुरैशी कश्मीर पर जारी एक रिपोर्ट के सेमीनार में पाकिस्तान की सरकार के प्रयासों का नेतृत्व कर रहे थे, इसका जिम्मा सांसद क्रिस लेस्ली पर है।
इस रिपोर्ट को बीते वर्ष नवम्बर में जारी किया गया था, इसमें भारतीय सेना की उपस्थिति और घाटी में कथित मानवधिकार के उल्लंघन की बात कही गयी थी। इस रिपोर्ट में आर्म्ड फाॅर्स स्पेशल पावर्स एक्ट और पब्लिक सेफ्टी एक्ट को हटाने की बात कही गयी थी। इस्लामाबाद में इमरान खान की सरकार के आने के बाद शाह महमूद कुरैशी निरंतर भारत को देखकर बौखलाते रहते हैं।
बीते वर्ष सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र की सभा में भाषण देते वक्त पाक विदेश मंत्री ने भारत पर बलुस्चिस्तान में हिंसा का आरोप लगाया जिसमे 150 लोगों ने अपनी जान गँवा दी थी। उन्होंने समझौता ब्लास्ट और कुलभूषण जाधव के केस को उठाया और कहा कि भारत आतंक का समर्थन करता है।
सूत्रों के मुताबिक इस समारोह को अनुमति देने पर भारत ब्रिटेन की सरकार से खफा है। शाह महमूद कुरैशी नवम्बर 2008 में भी विदेश मंत्री थे, जब मुंबई में 26/11 आतंकी हमला हुआ था। बल्कि इस हमले के दौरान वह भारत की यात्रा पर थे। भारत के विदेश मामलो के मंत्री प्रणब मुखर्जी ने उन्हें तत्काल भारत से वापस चले को कहा था।