पाकिस्तान के 26 वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पाकिस्तान के न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ ली है। नवनिर्वाचित मुख्य न्यायाधीश का शपथ ग्रहण समारोह काफी सादे तरीके से राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था, जिसमे भारत के कई कानूनी दिग्गज भी शरीक हुए थे।
राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नए मुख्य न्यायाधीश खोसा को शपथ दिलाई थी। जस्टिस खोसा ने पूर्व न्यायाधीश साकिब निसार की जगह ली थी। जस्टिस खोसा का कार्यकाल लगभग 337 दिनों का होगा, वह 21 दिसम्बर 2019 को सेवानिवृत्त होंगे।
पाकिस्तान की खबर के मुताबिक इस समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, मंत्री, राजनयिक, सैन्य अधिकारी, वकील व भारत समेत अन्य देशों के मेहमान भी मौजूद थे। खबर के मुताबिक भारत के उच्चतम न्यायलय के सेवानिवृत्त जज और राष्ट्रमंडल न्यायिक शिक्षा संस्थान की समिति के अध्यक्ष जस्टिस मदन बी लोकुर और कई अन्य दिग्गज भी शरीक हुए थे।
इस समारोह में दक्षिण अफ्रीका, तुर्की और नाइजीरिया नाइजीरिया के पांच वरिष्ठ जजों भी शरीक हुए थे। भारतीय मीडिया की खबर के अनुसार पिछले सत्तर सालों में पहली बार हुआ है कि कोई भारतीय जज पाकिस्तान पीठ का हिस्सा बना हो। नवनिर्वाचित मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक हुए मदन बी लोकुर पाकिस्तान की एक बेंच का हिस्सा भी बने थे।
भारतीय न्यायाधीश ने करीब 45 मिनट तक तीन केसों की सुनवाई भी की थी। इसमें पहला मामला आरोप के खिलाफ चुनौती, दूसरा मामला जमानत के लिए और तीसरा मामला नागरिक मसला था, जिसे दोनों पक्षों के मध्य सुलह के माध्यम से सुलझाया गया था।
पाकिस्तान के नवीनतम मुख्य न्यायाधीश खोसा का जन्म पंजाब प्रांत के डेरा गाजी खान में साल 1954 में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा हासिल की है। उन्होंने साल 1977 में वकालत के पेशे में कदम रखा था और साल 1998 में उच्च न्यायलय के न्यायाधीश के पद पर नियुक्त हुए थे।
जस्टिस खोसा को साल 2010 में शीर्ष न्यायलय का जज बनाया गया था। उन्होंने अपने अरसे के कार्यकाल में करीब 50 हज़ार मामलों में फैसला सुनाया है। ईशनिंदा मामले में आसिया बीबी को बरी करने वाली पीठ में भी जज खोसा शामिल थे। साथ ही वह पूर्व प्रधानमन्त्री युसूफ रज़ा और नवाज़ शरीफ को अयोग्य टहह्राने वाली पीठ के सदस्य भी थे।