Mon. Dec 23rd, 2024
    इमरान खान के साथ खालिस्तानी समर्थक

    भारत और पाकिस्तान की करतारपुर गलियारे पर पहली बैठक से पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने खालिस्तानी समर्थक गोपाल सिंह चावला से मुलाकात की थी। खालिस्तानी समर्थक चावला भारत के खिलाफ जहर उगलता है और देश को विभाजित करने की बात कहता है।

    पाकिस्तान की सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी का गोपाल सिंह चावला जनरल सेक्रेटरी है। खालिस्तानी समर्थक ने कांग्रेस के सांसद नवजोत सिंह सिद्धू के साथ भी मुलाकात की थी। भारत और पाकिस्तान परियोजना पर सहमति के तीन माह बाद पहली मुलाकात कर रहे हैं ताकि प्रस्ताव को अंतिमरूप दिया जा सके।

    ख़बरों के मुताबकि बीते वर्ष भारतीय सिख श्रद्धालुओं को पाकिस्तान के गुरुद्वारे में खालिस्तानी समर्थक बैनर दिखाए गए थे और इसके साथ ही सिख श्रद्धालुओं को मिलने गए भारतीय राजदूतों को जबरन सच्चा सौदा गुरुद्वारा छोड़ने के लिए विवश कर दिया गया था। वह चावला ही था जिसने राजनयिकों को गुरूद्वारे से बाहर निकाला था।

    सूत्रों के मुताबिक “इस बैठक में विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, पंजाब सरकार, नेशनल हाईवे अथॉरिटी, रोड ट्रांसपोर्ट एंड बॉर्डर सिक्योरिटी इस बैठक में शरीक होंगे। भारतीय दल का नेतृत्व गृह मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी अनिल मलिक, अफगानिस्तान, ईरान और पीओके में भारत के जॉइंट सेक्रेटरी दीपक मित्तल करेंगे।”

    भारत ने 24 नवंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लाहौर से 124 किलोमीटर दूर नरोवाल में इस गलियारे की नींव रखी थी। करतारपुर पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में आता है और नरोवाल जिले में पड़ता है। भारत सरकार ने इस निर्णय को 22 नवम्बर 2018 को लिया था, क्योंकि यह प्रस्ताव लम्बे समय से अटका हुआ था। भारत सरकार ने आज पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ ही करतारपुर गलियारे का आंकड़े साझा किये हैं।

    इस गलियारे के माध्यम से भारत के सिख श्रद्धालु पाकिस्तान में स्थित पवित्र स्थल के दर्शन कर पाएंगे। नवंबर, 2019 में गुरु नानक देव जी की 550 वीं वर्षगाँठ का आयोजन होगा।

    खालिस्तान से पाकिस्तान का कनेक्शन

    khalistan

    जाहिर है जब से बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हुआ है तब से पाकिस्तान की सेना भारत से बदला लेने की कोशिश कर रही है। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की कोशिश है कि वे जम्मू कश्मीर और पंजाब के जरिये भारत को तोड़ने की कोशिश करें।

    1980 के दशक में जब खालिस्तान विवाद अपने चरम पर था उस समय पाकिस्तान अपने देश में कुछ खालिस्तानियों को प्रशिक्षण दे रहा था और उन्हें भारत के पंजाब में आतंकवाद फैलाने के लिए भेजता था।

    1984 के बाद भारत नें इसपर काबू पा लिया था लेकिन अब भी कनाडा जैसे देशों से लोग खालिस्तान का समर्थक कर रहे हैं।

    हाल के समय में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह नें कहा था कि उन्हें लगता है कि करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तान की सेना और आईएसआई की साजिश है और वे इसके जरिये पंजाब में खालिस्तान विवाद को वापस लाना चाहते हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *