पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खक्कान अब्बासी कल अफगानिस्तान एक दिवसीय दौरे पर पहुँचे। अब्बासी के स्वागत के लिए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति खुद हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। वहाँ से पाकिस्तानी पीएम को काबुल स्थित राष्ट्रपति आवास ले जाया गया जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
इसके बाद दोनो प्रमुखों तथा अधिकारियों के बीच के मुद्दों पर बात-चीत हुई।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति मे बताया गया की दोनो राष्ट्र-प्रमुखों के बीच आतंकवाद, सीमा-विवाद, शांतिवार्ता, कैदियो की रिहाई तथा अफगानिस्तान-पाकिस्तान एक्शन प्लान पर बात हुई।
पिछले वर्ष प्रधानमन्त्री बनने के बाद शाहिद खक्कान अब्बासी का यह पहला अफगानिस्तान दौरा था।
पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री के इस दौरे को महज खानापूर्ति कहना गलत नहीं होगा। अमेरिका समेत सारी दुनिया यह स्वीकार कर चुकी है कि अफगानिस्तान को अस्थिर करने वाले तालिबान को पाकिस्तान ही समर्थन करता है।
अमेरिका पाकिस्तान पर लम्बे समय सर तालिबान को खत्म करने का दबाव डाल रहा है। पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के ऊपर “झूठ बेचने” का आरोप लगाया था।
पाकिस्तान पर उंगलियां उठना लाजमी है। अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन पाकिस्तानी सेना की पनाह में नार गया था।
पाकिस्तान अफ़ग़ानी तालिबान को हर सम्भव मदद करता है। अस्सी के दशक में सोवियत रूस के अफगानिस्तान पर हमले के बाद पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद से तालिबान को खड़ा किया था। बाद में यही तालिबान अमेरिका के लिए पाँव का काँटा साबित हुआ। पाकिस्तान अब भी तालिबान की पूरी मदद करता हैं
उनके ड्रग कारोबार को फैलाना अथवा उन्हें हथियार निर्यात करना, पाकिस्तान आज भी तालिबान के साथ खड़ा है। हालांकि पाकिस्तान इस बात को नकारने की पूरी कोशिश करता है।
अफगानिस्तान भी अंतराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ कई बार विरोध प्रस्ताव ला चुका है। पाकिस्तान भी अफगानिस्तान पर पाकिस्तान विरोधी तहरीक-ए-तालिबान के समर्थन का आरोप लगाता है।
पाकिस्तान में हुए बड़े आतंकी हमलों में तहरीक-ए-तालिबान का ही हाथ रहा है। पेशावर के आर्मी स्कूल अथेअ बाचा खान विश्विद्यालय का हमला की जिम्मेदारी भी तहरीक-ए-तालिबान ने ही ली थी।
हालिया आरोप
अफगानिस्तान सरकार ने आरोप लगाये थे कि पाकिस्तानी वायुसेना ने अफगानिस्तान के क्षेत्र में हवाई हमले किये थे। हालांकि पाकिस्तान ने इसे सिरे से नकार दिया।
अफगानिस्तान-भारत सम्बन्ध
अफगानिस्तान के साथ भारत के घनिष्ठ सम्बंध रहे हैं। भारत ने अफगानिस्तानी संसद के निर्माण समेत कई इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए कार्य किये हैं। अफगानिस्तान में भारत द्वारा निर्मित हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट- “सलमा डैम” अफगानिस्तान के कई इलाकों को बिजली पहुंचाता है।
इस वर्ष आई. पी. एल में अफगानिस्तानी खिलाड़ियों में से एक है 17 वर्ष के मुजीब भी किंग्स इलेवन पंजाब की तरफ से खेल रहे हैं।
भारत के लिए अच्छे संबन्ध के मायने।
पाकिस्तान पर निर्भर ना रहने के उद्देश्य से भारत ने ईरान के चाबाहार पोर्ट में निवेश किया है। ताकि भारत पाकिस्तान को दरकिनार कर सीधा अफगानिस्तान तक निर्यात कर सके।
हालांकि अगर पाकिस्तान अपने रुख में कुछ सुधार करता है व अफगानिस्तान से भारत आने वाले ट्रकों को भारत से भी सामान वापस ले जाने की अनुमति देता है तो यह भारत-अफगानिस्तान व्यापार के लिए लाभदायी साबित होगा।
परिणाम
अफगानिस्तान में अगर पाकिस्तान की मदद से माहौल सुधरते हैं तो अवश्य ही उपमहाद्वीप क्षेत्र में स्थिरता आएगी। ड्रग के व्यापार से अगर पाकिस्तान हाथ छीन लेता है तो इससे भारत को फायदा होगा, हमें ड्रग नेटवर्क को खत्म करने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी।
पर भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों पर इससे क्या असर पड़ेगा यह देखना अभी बाकी है।