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    ममता बनर्जी

    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले महीने यह घोषणा की थी, कि 30 सितम्बर को शाम 6 बजे के बाद से 2 अक्टूबर तक दुर्गा पूजा के दौरान मुहर्रम की वजह से विसर्जन नहीं होगा। आज राज्य की हाई कोर्ट ने ममता से कहा है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग साथ मिलकर त्योहार क्यों नहीं मना सकते?

    दरअसल ममता ने दोनों धर्मों के लोगों के बीच किसी तरह के टकराव को रोकने के उद्देश्य से यह फैसला किया था। इससे पहली भी बंगाल में कई बार यह हो चुका है कि ममता बनर्जी ने धर्म के नाम पर विवादित बयान दिए हों। ममता के इस फैसले के बाद हिन्दुओं ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। इसी के चलते अदलात ने यह कहा है।

    अदालत ने कहा कि जब आपको लगता है कि राज्य में किसी प्रकार की सांप्रदायिक विवाद नहीं हैं, तो सरकार खुद ऐसे विवादित फैसले क्यों कर रही है? इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि दोनों धर्मों के लोगों द्वारा त्यौहार मनाने में क्या बुराई है?

    ममता के फैसले के बाद भापजा, आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया था। लोगों का कहना था कि चंद वोटों के लिए ममता दो धर्मों के लोगों को लड़ाने में लगी है। ममता ने भी इसपर पलटवार करते हुए इन सभी संस्थाओं को चेतावनी दी थी कि वे उत्सव के दौरान किसी तरह के दंगों को बढ़ावा ना दें।

    ममता ने अभी कुछ दिन पहले भी रोहिंग्या मुस्लिमों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा था। ममता ने कहा था कि ये लोग आतंकवादी नहीं है और भारत सरकार को इन्हे देश में रहने देना चाहिए। ममता के इस बयान पर हालाँकि सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।