पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले महीने यह घोषणा की थी, कि 30 सितम्बर को शाम 6 बजे के बाद से 2 अक्टूबर तक दुर्गा पूजा के दौरान मुहर्रम की वजह से विसर्जन नहीं होगा। आज राज्य की हाई कोर्ट ने ममता से कहा है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग साथ मिलकर त्योहार क्यों नहीं मना सकते?
When you (state govt) are firm there is communal harmony in the state, why are you creating communal distinction b/w the two?: Calcutta HC
— ANI (@ANI) September 20, 2017
दरअसल ममता ने दोनों धर्मों के लोगों के बीच किसी तरह के टकराव को रोकने के उद्देश्य से यह फैसला किया था। इससे पहली भी बंगाल में कई बार यह हो चुका है कि ममता बनर्जी ने धर्म के नाम पर विवादित बयान दिए हों। ममता के इस फैसले के बाद हिन्दुओं ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। इसी के चलते अदलात ने यह कहा है।
अदालत ने कहा कि जब आपको लगता है कि राज्य में किसी प्रकार की सांप्रदायिक विवाद नहीं हैं, तो सरकार खुद ऐसे विवादित फैसले क्यों कर रही है? इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि दोनों धर्मों के लोगों द्वारा त्यौहार मनाने में क्या बुराई है?
"Why can't two communities celebrate together?", observes Calcutta High Court in Durga idol immersion case
— ANI (@ANI) September 20, 2017
ममता के फैसले के बाद भापजा, आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया था। लोगों का कहना था कि चंद वोटों के लिए ममता दो धर्मों के लोगों को लड़ाने में लगी है। ममता ने भी इसपर पलटवार करते हुए इन सभी संस्थाओं को चेतावनी दी थी कि वे उत्सव के दौरान किसी तरह के दंगों को बढ़ावा ना दें।
ममता ने अभी कुछ दिन पहले भी रोहिंग्या मुस्लिमों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा था। ममता ने कहा था कि ये लोग आतंकवादी नहीं है और भारत सरकार को इन्हे देश में रहने देना चाहिए। ममता के इस बयान पर हालाँकि सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।