2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र भाजपा की नज़र पश्चिम बंगाल पर है। बीतें सालों में भाजपा ने अपना जनाधार काफी बढाया है। बंगाल में ममता बनर्जी के शासन को उखाड़ फेंकने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 7 दिसंबर को एक रथयात्रा की शुरुआत करने वाले थे। ये आयोजन बंगाल भाजपा की तरफ से था और इसका नाम रखा गया था ‘लोकतंत्र बचाओ रैली’।
ये रथयात्रा कूच बिहार जिले से शुरू होने वाली थी जिसके जरिये भगवा पार्टी बंगाल में अपने लिए रास्ता बनाने की रणनीति पर काम कर रही थी।
पश्चिम बंगाल सरकार ने इस रथ यात्रा की मंजूरी देने से इनकार कर भाजपा और तृणमूल के बीच टकराव का नया मोर्चा खोल दिया है। सरकार ने इस रथ यात्रा को अनुमति न देने का कारण राज्य के सांप्रदायिक सद्भाव को बिगड़ने का ख़तरा बताया।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पूछा था कि रथ यात्रा के दौरान अगर कुछ अप्रिय घटना हुई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? भाजपा नेता अनिंद्य मित्रा ने कहा था कि राज्य के क़ानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार की है।
राज्य में लोकसभा की 42 सीटें हैं। वर्तमान में भाजपा के पास 2 सीट है। दार्जलिंग से बाबुल सुप्रियो और आसनसोल से एस एस आहलुवालिया। 2019 में भाजपा 42 में से 22 सीटें जीतने का ख्वाब देख रही है।
इस रथयात्रा को राज्य के सभी 42 लोकसभा क्षेत्रों से गुजरना था और अमित शाह इसे हरी झंडी दिखाने वाले थे। इस रथयात्रा के उद्घाटन समारोह को बहुत ही बड़े स्तर पर आयोजित करने की तैयारी थी। बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के अनुसार इस कार्यक्रम के लिए भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों को निमंत्रण पत्र भेजा गया था इसके अलावा केन्द्रीय मंत्रियों को भी निमंत्रण पत्र भेजा गया था।
लेकिन अब जबकि राज्य सरकार ने इसे अनुमति नहीं दी है तो आने वाले दिनों में भाजपा और राज्य सरकार के बीच टकराव देखने को मिल सकता है।