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    सिद्धरमैया

    केन्द्र सरकार द्वारा हाल में घोषित आम बजट में दुनिया के सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का ऐलान किया था। इसे मोदीकेयर का नाम दिया गया था। लेकिन अब लग रहा है कि मोदी सरकार की इस योजना पर संकट के बादल मंडराने लगे है। पश्चिम बंगाल के बाद अब कर्नाटक ने इस योजना को राज्य में लागू करने से साफ इंकार कर दिया है।

    कर्नाटक ने केन्द्र की स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल होने से मना कर दिया है। कर्नाटक में इस समय कांग्रेस की सरकार है और तीन महीनों बाद ही यहां पर विधानसभा चुनाव होने वाले है। इसलिए ही कांग्रेस सरकार अब बीजेपी की योजना को राजनीतिक कारणो से लागू नहीं कर रही है।

    राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रमेश कुमार ने गुरुवार को कर्नाटक बजट घोषित करने से एक दिन पहले कहा कि हम पहले ही प्रधानमंत्री मोदी के एक कदम आगे चल रहे है। मंत्री ने कहा कि राज्य में पहले से ही एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजना चल रही है।

    मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने पिछले साल अपने बजट भाषण में विभिन्न स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को एक साथ लाने और विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य कवरेज के तहत सभी परिवारों को शामिल करने की घोषणा की थी।

    लेकिन अब केन्द्र सरकार की इस योजना में शामिल होने से इंकार कर दिया है। साथ ही कहा था कि राज्य में यशस्विनी आरोग्य सुरक्षा योजना मौजूदा नियमों के अनुसार जारी रहेगी। यह योजना स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के नियंत्रण में लाई जाएगी।

    कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि औपचारिक रूप से 26 फरवरी को राज्य सरकार अपनी योजना लॉन्च करेगी। स्वास्थ्य मंत्री ने सुझाव दिया कि केन्द्र अगर चाहे तो कर्नाटक की योजना को कॉपी कर सकता है लेकिन कर्नाटक राज्य केन्द्र की योजना में शामिल नहीं होना होगा।

    मरीजों का बीमा कराए जाने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि बीमा कराना मोदी जी का बिजनेस है, हमारा नहीं। पश्चिम बंगाल के बाद अब कर्नाटक ने भी इस योजन को अपनाने से इंकार कर दिया है।

    वहीं केरल भी इस योजना को अपनाने से आनाकानी कर रहा है। केरल ने योजना की तारीफ तो की है लेकिन वह लाभार्थियों को अंतिम रूप देने के लिए एक अलग मापदंड करने की वकालत कर रहा है।