दो दिन चलने वाले भारत बंद ने देश के कई हिस्सों में अपना प्रभाव दिखाया है। दस ट्रेड यूनियन द्वारा किये गए इस भारत बंद ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और केरल में सबसे ज्यादा हिंसा मचाई है। पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर, बसों के साथ तोड़-फोड़ की गयी और पहिये जला दिए गए। प्रदर्शनकारियों ने तीनो राज्यों में, सड़को को जाम कर दिया और रेल सेवाओं को बाधित किया। सेंट्रल ट्रेड यूनियन (CTU) के करीबन 20 करोड़ कार्यकर्ताओं ने आज और कल होने वाले भारत बंद में हिस्सा लिया। ट्रेड यूनियन केंद्र सरकार की कथित मजदूर विरोधी नीतियों का विरोध कर रहे हैं।
2019 के पहले भारत बंद की 10 अहम बातें-
- पश्चिम बंगाल के कोलकाता, आसनसोल और बाकी कुछ जिलो में, तृणमूल कांग्रेस और CPM के कार्यकर्ताओं के बीच टकराव देखने के लिए मिला। आसनसोल में भीड़ को हटाने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा।
- कोलकाता से 30 किलोमीटर दूर बारासात में एक स्कूल बस के साथ तोड़-फोड़ की गयी। किसी को कोई चोट नहीं आई। आसनसोल और हुगली में भी यही देखने के लिए मिला। जादवपुर, सोदपुर, रिश्रा और उत्तरपारा में रेल सेवायों को बाधित किया गया।
- मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार किसी भी प्रकार के बंद के खिलाफ है। उनके मुताबिक, “हमने किसी बंद का समर्थन नहीं करने के लिए कदम उठाया है। अब बहुत हो गया। पिछले 34 सालों में वामपंथी संगठनों ने राज्य को बंद करके नष्ट कर दिया है।”
- ओडिशा में, CTU के कार्यकताओं ने भुवनेश्वर में सड़को को जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे 16 भी जाम कर दिया है और पहिये जला दिए हैं।
- केरल में, प्रदर्शनकारी रेल की पटरियों पर बैठ गए और केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे। राजधानी थिरुवंथापुरम में बहुत ही कम स्टेट बसे देखी गयी।
- पूर्वी दिल्ली में, आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियन (AICCTU) के सदस्य सड़को पर उतर आये थे। वे सरकारी क्षेत्र के व्यवसायों के निजीकरण का विरोध कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा की मांग करते हुए नारे लगाए।
- ट्रेड यूनियन की सबसे बड़ी मांग थी-सामाजिक सुरक्षा अधिनियम पर कानून बनाने की और असंगठित परिवहन क्षेत्र के लिए न्यूनतम 24,000 रूपये वेतन तय करने की।
- ट्रेड यूनियन के नेताओं ने ये इलज़ाम लगाया है कि सरकार उनके लिए नौकरियां उत्पन्न करने में विफल रही और उनके द्वारा की गयी मांगो को भी नज़रंदाज़ किया गया जिसमे न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा योजनायें भी शामिल थी। दक्षिणपंथी पार्टियों से जुड़े किसानों ने ग्रामीण हड़ताल करने की धमकी दी है।
- दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कोयला, इस्पात, बिजली, बैंकिंग, बीमा और परिवहन जैसे क्षेत्रों के कर्मचारी हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं। किसानों और छात्रों के समूहों ने भी हड़ताल का समर्थन किया है।
- ट्रेड यूनियन के नेताओं ने बताया कि बुधवार वाले दिन, प्रदर्शनकारियों ने मंदी हाउस से संसद तक मार्च करने की योजना बनाई है और ऐसी ही मार्च पूरे देश में निकाली जाएगी। यूनियन ने इलज़ाम लगाया है कि उन्होंने सरकार को लेबर कोड पर सुझाव दिए थे मगर उन सबको खारिज कर दिया गया।