केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री, भूपेंद्र यादव ने कहा, शहरों में प्रतिस्पर्धा की भावना को आत्मसात करने का अभिनव दृष्टिकोण वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर रहा है। मंत्री गुरुवार को “International Day of Clean Air for blue skies” ’स्वच्छ पवन नील गगन’ के अवसर पर एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
Shri @byadavbjp, Hon'ble Minister, EFCC and Shri @AshwiniKChoubey, Hon'ble Minister of State, EFCC graced the event of "International Day of Clean Air for Blue Skies" being organised as "Swachh Vayu Diwas (Swachh Pawan Neel Gagan) ", today at Indira Paryavaran Bhawan. pic.twitter.com/il2JmkTAGX
— MoEF&CC (@moefcc) September 7, 2022
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए, मंत्री ने छात्रों, गैर सरकारी संगठनों और शोधकर्ताओं सहित जमीनी स्तर पर लोगों की भागीदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वाराणसी, श्रीनगर और बेंगलुरु जैसे कई शहरों के नगर निगमों की भागीदारी से मंत्रालय कचरा प्रबंधन, टिकाऊ परिवहन और शहरी हरियाली के बहुआयामी मुद्दों पर काम करने में सक्षम रहा है।
श्री यादव ने कहा कि एक शहर की अवधारणा में सभी पर्यावरणीय मानकों को भी शामिल किया जाना चाहिए, और भारत सरकार का स्मार्ट सिटी मिशन केवल इसी दृष्टिकोण पर आधारित है। उन्होंने प्रधानमंत्री के दिए हुए LiFE मिशन को दोहराया।
श्री यादव ने कहा कि, “स्थानीय लोगों को प्राकृतिक विरासत के प्रति जागरूक करने पर जोर दिया। हमें लगता है कि पर्यावरण और विकास विरोधी नहीं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञान को अपनाकर और प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन देकर ही हम अपने लक्ष्यों को पूरा कर पाएंगे।”
इस अवसर पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार करना भारत सरकार का प्रमुख फोकस है। उन्होंने कहा कि युवाओं को पारंपरिक भारतीय ज्ञान से जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि यह बेहतर जीवन के लिए स्वच्छ हवा पर ध्यान केंद्रित करता है।
2019 में, संयुक्त राष्ट्र ने 7 सितंबर को “International Day of Clean Air for blue skies” के रूप में नामित किया था। आज ‘The Air We Share’ की थीम के तहत नीला आसमान के लिए स्वच्छ हवा का तीसरा अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है। यह सामूहिक जवाबदेही और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए वायु प्रदूषण की सीमा पार प्रकृति पर केंद्रित है।