पाकिस्तानी उच्च अदालत में पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ़ पर चल रहे देशद्रोह के मुक़दमे पर पेश न होने पर मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें फटकार लगाई है। प्रमुख न्यायाधीश साकिब निसार ने पूर्व तानाशाह को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह इस्लामाबाद की अदालत में हाज़िर न हुए तो उन्हें घसीटकर पाकिस्तान लाया जायेगा।
मुख्य न्यायाधीश का ये वक्तव्य तब आया जब परवेज मुशर्रफ़ के वकील ने कहा कि पूर्व तानाशाह अदालत की सम्मान करते हैं लेकिन सुरक्षा और स्वास्थ्य के कारण वह अभी पाकिस्तान नहीं लौट सकते हैं।
परवेज़ मुशर्रफ पर साल 2007 से तत्कालीन सरकार का तख्तापलट करने के लिए देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है साथ ही उन्होंने संविधान को बर्खास्त किया था। वह वर्ष 2016 में स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कतों का हवाला देकर दुबई चले गये थे तब से वापस पाकिस्तान नहीं लौटे।
परवेज मुशर्रफ़ के वकील ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ लाल मस्जिद ऑपरेशन मामले में किसी आरोप का सामना नहीं कर रहे हैं और उन्होंने मुव्वकिल के खिलाफ दायर तहरीर की विषय में सूचना की मांग की।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि परवेज मुशर्रफ पर लाल मस्जिद मामले में कोई आरोप नहीं लगे हैं लेकिन उन पर देशद्रोह का मुकदमा दायर है और वह अदालत में पेश न होकर कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं। उन्होंने कहा पूर्व राष्ट्रपति बाइज्ज़त अदालत के समक्ष हाज़िर हों वरना उन्हें जबरन वापस लाया जायेगा जो उनकी गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है।
अदालत ने आश्वासन देते हुए कहा कि अगर पूर्व राष्ट्रपति वतन वापस लौटते हैं तो उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाई जाएँगी। साथ ही उनको पाकिस्तान में सर्वोत्तम स्वास्थय जांच सुविधाएं दी जाएगी। साथ ही कहा कि एक नागरिक को केस के दौरान वतन छोड़ने और वापस न लौटने को अदालत कतई बर्दास्त नहीं करेगी। कोर्ट ने पूर्व तानाशाह के वकील को परवेज़ मुशर्रफ़ की स्वास्थ्य सम्बन्धी दस्तावेजों को जल्दी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
पूर्व राष्ट्रपति पर साल 2014 में देशद्रोह (पाकिस्तान के संविधान को बर्खास्त करने) और देश पर आपातकाल थोपने का दोषी माना गया। परवेज़ मुशर्रफ़ ने पाकिस्तान पर साल 1999 से 2008 तक हुकूमत चलाई। उन पर पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और लाल मस्जिद हत्याकांड के केस में संधिग्द भी थे।