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    फ्रांस और ईरान

    ईरान ने साल 2015 में हुई परमाणु संधि को बचाने के लिए फ्रांस के प्रयासों का स्वागत किया है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को बताया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन के आला कूटनीतिज्ञ ने हाल ही संकट को कम करने पर बातचीत के लिए तेहरान की यात्रा की थी।

    ईरान ने सोमवार को असक्रिय गतिविधियों को बहाल करने की धमकी दी थी और परमाणु संधि का उल्लंघन कर 20 फीसदी शुद्ध यूरेनियम का संवर्धन को बढाने की चेतावनी दी थी। तेहरान ने इस संधि के शेष साझेदारो,खाशकर यूरोपीय देशों पर उन्हें अमेरिकी प्रतिबंधों से बचाने का दबाव बनाया है।

    अमेरिका ने बीते वर्ष इस संधि को खत्म कर दिया था और ईरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था। ईरान की स्टेट न्यूज़ एजेंसी के हवाले से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसावी ने “तनावों को कम करने में फ्रांस की भूमिका और संधि को अमल में लाने के प्रयासों का स्वागत किया है।”

    मौसावी ने मैक्रॉन के आला कूटनीतिक सलाहकार इम्मानुएल बोन्ने की यात्रा के दौरान कहा कि “फ्रांस इन प्रयासों का भाग है कि परमाणु संधि को जिन्दा रखा जाए।”

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर मतभेदों के बाबत अपनी फ्रांस के समकक्षी इम्मानुएल मैक्रॉन से सोमवार को चर्चा की थी। ईरान ने कहा कि “वह संधि का उल्लंघन नहीं कर रहा है। अगर लगा कि अन्य पक्ष संधि का सम्मान नहीं कर रहा है टो वह परमाणु संधि की आंशिक प्रतिबद्धताओं से पीछे हट सकते हैं।

    माइक पोम्पियो ने ट्वीट कर कहा कि “ईरान का परमाणु कार्यक्रम में हालिया विस्तार उसे अलगाववाद और प्रतिबंधों की तरफ ले जायेगा। राष्ट्रों को ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संवर्धन पर रोक लगाने के लिए दीर्घकालिक मानक बहाल करने होंगे। ईरान का शासन विश्व के लिए एक बेहद खतरनाक चुनौती बन रहा है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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