अरुण जेटली ने गुरूवार को बताया की सरकार वर्तमान वित्तीय वर्ष के आने वाले कुछ महीनों में पब्लिक सेक्टर बैंकों में 83000 करोड़ का बड़ा निवेश करने जा रही है।
पुनर्पूंजीकरण का प्रभाव
इसी दिन को ही इस घोषणा से पहले राज्य संचालित बैंकों में अतिरिक्त 41000 करोड़ के निवेश के लिए संसद की स्वीकृति ली जाने की खबर भी सामने आयी थी। इस निवेश के होने से वर्तमान वित्त वर्ष में कुल पुनर्पूंजीकरण 65,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.06 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।
जब राज्य संचालित बैंकों को यह पूँजी मिलेगी तो उनकी उधार देने की क्षमता बढ़ जायेगी एवं वे सभी क़र्ज़ आदि चुका पाएंगे। इसी के साथ वे RBI के pca ढाँचे से बाहर निकलने में सक्षम हो जायेंगे।
क्या है PCA ढांचा ?
आरबीआइ बैंकों को लाइसेंस देता है, नियम बनाता है और बैंक ठीक से काम करें इसकी निगरानी करता है। बैंक कारोबार करते हुए कई बार वित्तीय संकट में फंस जाते हैं। इनको संकट से उबारने को आरबीआइ समय-समय पर दिशानिर्देश जारी करता है और फ्रेमवर्क बनाता है।
‘प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन’ (पीसीए) इसी तरह का फ्रेमवर्क है, जो किसी बैंक की वित्तीय सेहत का पैमाना तय करता है। यह फ्रेमवर्क समय-समय पर हुए बदलावों के साथ दिसंबर, 2002 से चल रहा है। यह सभी व्यावसायिक बैंकों सहित छोटे बैंकों तथा भारत में शाखा खोलने वाले विदेशी बैंकों पर भी लागू है।
कौन से बैंक होते हैं पीसीए में ?
बैंक PCA में होंगे या नहीं इसका ‘रिटर्न ऑन असेट’ एक महत्वपूर्ण पैमाना है। इसका मतलब यह है कि किसी बैंक ने जो धनराशि उधार दी है या कहीं निवेश किया है, उस पर उसे कितना रिटर्न मिल रहा है। इसमें उतार चढ़ाव से पता चलता है कि बैंक मुनाफे में है या घाटे में। ‘रिटर्न ऑन असेट’ लगातार दो वषों तक नकारात्मक रहता तो बैंक को पीसीए में डाल दिया जाता है।
अतः इस निवेश से उन बैंकों को जिनका दो साल से नकारात्मक रिटर्न ओन एसेट है ऐसे बैंकों को इस निवेश से पीसीए से बाहर आने में मदद मिलेगी।