न्यूज 18 टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, दोनो बीजेपी शासित राज्यों की याचिका पर सुनवाई जस्टिसों के बेंच द्वारा की गई, जिनमे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचुड मौजूद थे। उन्होंने 25 जनवरी को पद्मावत की रिलीज का रास्ता साफ कर दिया है।
किसी भी फिल्म की रिलीज लाॅ एंड आर्डर को बहाल करने के आधार पर रोकी जा सकती है। इस बात को आधार बनाकर दोनो राज्यों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। पद्मावत फिल्म के निर्माताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश सलवे ने मामले की सुनवाई मे हिस्सा लिया। उन्होंने कोर्ट को इस मामले मे सुनवाई करने के विरोध मे कहा था कि कोर्ट ने पहले ही 3 राज्यों (गुजरात, राजस्थान, हरियाणा) मे फिल्म की रिलीज पर से बैन हटा दिया था।
बीते दिनों में करणी सेना अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह कलवी ने कहा था कि, “हम फिल्म को देखने के लिए तैयार है। हमने फिल्म देखने से कभी मना नही किया। निर्माता भी इस बात से सहमत है।”
जस्टिस दीपक मिश्रा और ए एम खानविलकर ने एक बयान जारी कर कहा कि, “करणी सेना और अन्य संगठनो को यह समझना होगा कि, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर दिया है और सबको इसे मानना होगा। राज्यों को किसी भी हालत मे लाॅ एंड आर्डर बहाल रखना होगा।”
श्री राजपूत करणी सेना, जो कि फिल्म का विरोध कर रहे है, का कहना था कि वह फिल्म देख सारे विवाद पर विराम लगाना चाहते है।
25 जनवरी को रिलीज होने वाली पद्मावत, करणी सेना के विरोध के चलते अधर मे थी। संगठन का कहना है कि फिल्म में एतिहासिक तत्वों से छेड़खानी की गई है।
भंसाली ने 20 जनवरी को करणी सेना को पत्र लिखकर कर यह बताया था कि, फिल्म मे राजपूत समुदाय को शौर्य और साहस का प्रतिक बताया गया है। सेंसर बोर्ड की मान्यता मिलने के बाद फिल्म का नाम पद्मावती से पद्मावत किया गया है।