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    दीपिका पद्मावती

    संजय लीला भंसाली कि फिल्म को लेकर जो विवाद शुरू हुआ था, वह कम होने कि बजाए बढ़ता ही जा रहा है। लगभग हर दिन किसी ना किसी छेत्र में फिल्म को लेकर विरोध प्रदर्शन होना, किसी बड़े नेता का फिल्म की रिलीज़ को आगे बढ़ाने को लेकर चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखना, क्षत्रिय समाज के नेता द्वारा फिल्म रिलीज़ होने पर दंगे होने की चेतावनी देना, राजपूताना समुदाय के नेताओं और करणी सेना का फिल्म के दृश्यों को हटाने की मांग करना या फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ मारपीट करना और केंद्रीय मंत्री उमा भर्ती का फिल्म के निर्देशक को लेकर ट्वीट करना इस फिल्म से जुड़े गंभीर विवाद को दर्शाता है।

    चलिए यह सब बात तो पुरानी हो चली है अभी हालहीं में उज्जैन से भाजपा सांसद प्रो. चिन्तामणि मालवीय ने एक फेसबुक पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने लिखा कि “भंसाली जैसे लोगों को सिर्फ जूतों की भाषा ही समझ में आती है।” उन्होंने अपनी भाषा का स्मरण भूलते हुए यह भी लिखा कि “जिन फिल्मकारों की स्त्रियां रोज अपने शौहर बदलती हैं, वो क्या जानें जौहर क्या होता है?”।
    आपको बता दें इससे पहले भाजपा नेता गिरिराज किशोर, उमा भारती और गुजरात बीजेपी भी इस फिल्म को लेकर अपना विरोध जता चुकी है। और इस फिल्म को लेकर गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी ने भी कहा है कि “यदि फिल्म लोगों कि आस्था और विश्वास व भावनाओ को ठेस पहुंचाती है तो लोगों का विरोध करना स्वाभाविक है”।

    भाजपा सांसद प्रो. चिन्तामणि मालवीय ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “मैं फिल्म पद्मावती का विरोध और बहिष्कार करता हूं। फिल्म बनाकर चंद पैसों के लालच में इतिहास से छेड़छाड़ करना शर्मनाक और घृणित कार्य है। हर भारतीय नारी की आदर्श रानी पद्मावती जी पर भारतीयों को गर्व है। उन्होंने अपने सतीत्व, देश और समाज की आन, बान, शान के लिए हजारों नारियों के साथ स्वयं को आग में झोंक दिया था। उसे तोड़-मरोड़कर दिखाना वास्तव में इस देश का अपमान है”।

    रानी पद्मावती राजपूताना संस्कृति का अलंकार है और भारत रानी पद्मावती का अपमान नहीं सहेगा, वह भारत का गौरव है सम्मान है इतिहास है और जिस में इतिहास के साथ फेर बदल किया जाता है उस देश कि सभ्यता और संस्कृति सदा सदा के लिए नष्ट हो जाती है। इस प्रकार हो रहे विरोध पर फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली का कहना है कि “फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया गया है जिससे लोगों कि भावनाओ को ठेस पहुंचे”।