रिपोर्टस विथआउट बॉर्डर की रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष पत्रकारों की हत्या में वृद्धि हुई है, जो 80 तक पंहुच गया हैं। इनमे से 63 पेशेवर पत्रकार थे। बीते वर्ष 55 पेशेवर पत्रकारों की हत्या हुई थी। आरएसएफ ने कहा कि इसके आलावा 348 पत्रकारों को नज़रबंद, 60 को बंधक बनाकर और तीन लापता है।
80 पत्रकारों की हत्या में से 49 को जान बूझकर निशाना बनाया गया था क्योंकि वह किसी व्यक्ति की हैसियत को नुकसान पंहुचा सकती था। यह राजनीति, आर्थिक, धार्मिक और अपराधिक गतिविधियों से जुड़े लोग हो सकते हैं।
विश्व में पत्रकारों के हालात
रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में साल 2018 में 15 पत्रकारों की हत्या की गयी है, जो इस राष्ट्र को पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक की श्रेणी में लाकर खड़ा करती है। अफगानिस्तान में 17 साल पूर्व अमेरिकी नेतृत्व में शुरू लड़ाई का खामियाजा लोग आज तक भुगत रहे हैं।
सीरिया में 11, मेक्सिको में 9, यमन में 8 और भारत व अमेरिका में 6 पत्रकारों की हत्या की गयी है। इराक में सकारात्मक खबर मिली है, रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष इराक में एक भी पत्रकार की हत्या नहीं की गयी है। रिपोर्ट केमुताबिक भारत में ही पत्रकारों को सबसे अधिक खतरा है।
भारत में पत्रकारों पर हमला
भारत से सम्बंधित आरएसएफ ने दो केस हाईलाइट किये हैं, बिहार में एक गाँव के मुखिया ने दो पत्रकारों नविन निश्चल और विजय सिंह की हत्या कर दी थी। उसी दिन, मध्य प्रदेश में एक ट्रक ने पत्रकार संदीप शर्मा को रौंद दिया था, जो स्थानीय रेत माफिया के खिलाफ जांच कर रहा था।
निश्चल और विजय सिंह दैनिक भास्कर के लिए काम करते थे, उसके परिवारजनों ने गाँव के सरपंच पर आरोप लगाया था। संदीप शर्मा ने अपनी जान को खतरे से सम्बंधित पुलिस में अर्जी दी थी, जिसमे उन्होंने कहा था कि उन्हें एक पुलिस अफसर से खतरा है।
अमेरिका में पत्रकारों पर हमले
अमेरिका में मृतक छह पत्रकारों में से चार कैपिटल गजट के कर्मचारी थे। इन पत्रकारों की हत्या 28 जून को हुई थी, जब एक आदमी में सड़क पर ओपन फायर की थी। 348 नज़रबंद पत्रकारों में से, 60 चीन, 38 मिस्र, 33 तुर्की और 28 सऊदी अरब और ईरान में हैं।
पत्रकारों पर राजनीतिक दबाव
वांशिगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के इल्ज़ाम सऊदी अरब पर लगे हैं, जिनकी 2 अक्टूबर को इस्तांबुल में स्थित सऊदी दूतावास में हत्या कर दी गयी थी। खशोगी सऊदी अरब की राजशाही सरकार और क्राउन प्रिंस के मुखर आलोचक थे। खशोगी सऊदी अरब से निर्वासित होकर अमेरिका में रह रहे थे।
पर्सन ऑफ़ द इयर
टाइम मैगजीन ने हाल ही में जमाल खशोगी और फ़िलीपीन्स में सज़ा काट रही पत्रकार मारिया रस्सा, म्यांमार में कैद वा लोने और क्याव सोए ऊ और कैपिटल गज़ट के स्टाफ को पर्सन ऑफ़ द इयर का सामन दिया है।