भारत द्वारा हाल ही में लागू किये गए नए ई-कॉमर्स के पतंजलि समर्थन में आई है। उनके अनुसार ऐसा करने से स्वदेशी व्यापारियों को भी दुसरे व्यापारियों के समान अवसर मिलेंगे।
पतंजली का मत :
इकनोमिक टाइम्स के मुतबिक नए ई-कॉमर्स नियमों पर अपना मत रखते हुए पतंजलि ने कहा है की यह नियम भारतीय खुदरा व्यापारियों के लिए मत्वपूर्ण साबित होंगे। इन नियमों के लागू होने से दुसरे व्यापारियों के समान अवसर भारतीय विक्रेताओं को भी मिलेंगे।
हमारे अनुसार सभी को सामान अवसरों का अधिकार है और अमेज़न और फ्लिप्कार्ट के एकाधिकार की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा था। ये ई-कॉमर्स दिग्गज अपनी वेबसाइट पर भारी डिस्काउंट देकर ग्राहकों को लुभा रहे थे जिससे छोटे विक्रेताओं को लगातार घाटा हो रहा था।
नए ई-कॉमर्स नियमों की जानकारी :
ई-कॉमर्स के नए नियम गतवर्ष दिसम्बर के आखिरी सप्ताह में बनाए गए थे। नए नियमों के अंतर्गत ये ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफार्म अब अपनी वेबसाइट पर भारी छूट देकर उत्पादों को नहीं बेच सकते हैं और ना ही एक्सक्लूसिव डील के तहत उत्पादों के तहत अपने उत्पादों क बेच सकते हैं।
इसके अलावा अब विदेशी ई-कॉमर्स विक्रेता ऐसी कंपनी के उत्पाद अपनी वेबसाइट पर नहीं बेच पायेंगे जिसमे इनकी 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। नए नियम बनाने इसलिए जरूरी हो गए क्योंकि बहुत समय से ऑफलाइन और छोटे खुदरा विक्रेताओं से शिकायतें मिल रही थी की ई-कॉमर्स वेबसाइट भारी छूट देकर सभी ग्राहकों को आकर्षित कर लेती हैं जिससे उनके व्यापार में भारी नुक्सान हो रहा है।
नियम लागू होने से पहले फ्लिप्कार्ट और अमेज़न ने मिलकर इन नियमों को लागू करने की तारीख बढाने की मांग की थी लेकिन यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया था।
नए ई-कॉमर्स नियमों का असर :
फरवरी 1 से भारत में ई-कॉमर्स के नए नियम लागू कर दिए गए थे जिससे बड़े ई-कॉमर्स दिग्गज अमेज़न और फ्लिप्कार्ट को बड़ा झटका लगा था।
अमेज़ॅन को शीर्ष विक्रेताओं क्लाउडटेल और अप्पेरियो द्वारा बेची गई हजारों उत्पादों को हटाने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि यह अप्रत्यक्ष रूप से दोनों फर्मों में 49 प्रतिशत इक्विटी स्टेक का हिस्सेदार था। इसके साथ ही फ्लिप्कार्ट और अमेज़न पर इसके बाद से हीई बड़े डिस्काउंट नहीं मिल रहे थे। इन नियमों से ये वेबसाइट एक्सक्लूसिव डील भी नही कर्ण पा रही थी।
हालांकि फ्लिप्कार्ट को इन नियमों से इतना बड़ा झटका नहीं लगा क्योंकि इसकी किन्हीं दूसरी कंपनियों में हिस्सेदारी नहीं थी। इसके अतिरिक्त सूत्रों से पता चला है की जल्द ही अमेज़न एप्पैरियो में से भी अपनी हिस्सेदारी कम करने पर विचार कर रहा है।