पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक आदेश जारी किया है, जिसमें उन्होंने सभी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों से उनका बंगला वापस करने को कहा है। चीफ जस्टिस ए.पी.शाही के नेतृत्व में खंडपीठ ने आदेश दिए हैं कि पद छोड़ने पर अब नेताओं को उनका सरकारी बंगला भी छोड़ना होगा। इस फैसले से अभी के मुख्यमंंत्री नीतीश कुमार का आवास भी घेरे में आ सकता है।
कोर्ट ने इस संदर्भ में पिछले महीने ही पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत नीतीश कुमार को नोटिस जारी किया था। लेकिन सबने उसे अनसुना कर दिया। न्यायालय ने इस बाबत उनसे जवाब भी मांगा है कि एक महीने पहले नोटिस मिलने पर भी उन्होंने सरकारी बंगाल खाली क्यों नहीं किया।
अदालत का यह आदेश कार्यकर्ता नीतीश कुमार द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर आया है। जिसमें उन्होंने पूछा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को पद छोड़ने के बाद उन्हें आवंटित बंगलों पर कब्जा जारी रखना चाहिए। नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल में आवंटित किए बंगले में रहना है, जबकि वे एक अन्य सरकारी बंगले में रहते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के अलावा जीतन राम मांझी और जगन्नाथ मिश्रा भी अपने कार्यकाल में आवंटित बंगले पर ही रह रहे हैं। सतीश कुमार सिंह, जो मुश्किल से एक हफ्ते से मुख्यमंत्री थे। वे भी आवंटित बंगले से बाहर जाने से इनकार कर रहे हैं। हालांकि उन सभी को अदालत के इस आदेश के बाद अपने आधिकारिक बंगले खाली करने होंगे।