जलियावाला बाग़ हत्याकांड में ब्रितानी सरकार से माफ़ी की मांग करते हुए बुधवार को पंजाब विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया गया है। संसदीय मामलों के मंत्री ब्रह्म मोहिंद्र ने प्रस्ताव रखा और अन्य राजनितिक दलों से इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
इस मसौदे के मुताबिक “13 अप्रैल 1919 को जलियावाला बाग़ में बेकसूर प्रदर्शनकारियों की हत्या की गयी। यह भारत पर ब्रितानी हुकूमत के दौरान सबसे खतरनाक मंजरों ने से एक है। रौलेट एक्ट पर वैश्विक निंदा के बाद शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शर्मनाक सैन्य कार्रवाई की गयी थी।”
इस प्रस्ताव के तहत ब्रितानी सरकार को भारत की जनता से आधिकारिक स्तर पर माफ़ी मांगनी चाहिए। इस मामले को राज्य सरकार भारत सरकार के समक्ष उठाएगी कि अमृतसर के जलियावाला बाग़ में बेकसूर जनता की हत्या के लिए ब्रितानी सरकार आधिकारिक स्तर पर माफ़ी मांगे।
आम आदमी पार्टी, अकाली दल-भाजपा और लोक इन्साफ पार्टी विपक्षियों ने भी इस मसौदे का समर्थन किया था। ब्रिटिश संसद के राजयसभा में 20 अप्रैल 1919 को अमृतसर में हुए जलियावाला बाग़ हत्याकांड पर चर्चा होगी और उस रक्तपात के लिए ब्रिटेन पर माफ़ी मांगने का दबाव बनाया जायेगा।
भारतीय मूल के नागरिक लार्ड मेघनाध देशाई और लार्ड राज लूंबा राज्यसभा में इस बहस की शुरुआत करेंगे। जो जनरल डायर के आदेश की आलोचना करेंगे। इस मकसद के लिए बनाई गई जलियावाला बाग सेंटेनरी कमेमोरेशन कमिटी के मुताबिक इस हत्याकांड के लिए क्षमा याचना की मांग की जाएगी।
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने साल 2013 में अमृतसर के जलियावाला बाग की यात्रा की थी और उन्होंने इसे बेहद शर्मनाक आयोजन करार दिया था। उन्होंने माफी मांगने से इन्कार करते हुए कहा कि जो वास्तव में हुआ है उसकी जानकारी हासिल करना, बीते को दोबारा दोहराने के लिए, जो हुआ उसके लिए उसकी सम्मान और समझ जरुरी है।