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    मुंबई, 12 जून (आईएएनएस)| सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने स्वीकार किया है कि पूरे भारत में कुल 1,142 बड़े और छोटे डिफॉल्टरों ने उसे लगभग 25,090.3 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।

    बैंक ने 23,879.8 करोड़ रुपये की वसूली के लिए इन 1,142 में से 1,108 डिफॉल्टरों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।

    हालांकि, बाकी 34 डिफॉल्टरों के खिलाफ कोई मुकदमा दायर नहीं किया गया है, जिन पर बैंक का कुल 1,210.5 करोड़ रुपये बकाया है।

    जैसा कि अनिवार्य है, आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) को 31 मार्च, 2019 तक के इन सभी फंसे खातों की स्थिति के बारे में सूचित किया गया है। इनमें से कुछ कई साल पुराने हैं और अभी भी उनसे वसूली की कार्रवाई चल रही है।

    देश की दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक द्वारा तैयार की गई ‘हिट-लिस्ट’ में वे सभी डिफॉल्टर्स शामिल हैं, जिन पर पीएनबी का 25 लाख रुपये और उससे अधिक बकाया है। ये कर्ज महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली, चंडीगढ़, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल स्थित बैंक की शाखाओं से दिए गए थे।

    रहस्यमय रूप से, कर्ज लेने वाली कुछ कंपनियों को विदेशों में पंजीकृत दिखाया जाता है, जबकि अन्य जो भारत में पंजीकृत हैं, उन्होंने अपनी विदेशी शाखाओं से पीएनबी से कर्ज लिया है।

    दिलचस्प बात यह है कि कर्ज नहीं चुकानेवालों की सूची भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव डी. मोदी और मेहुल सी. चोकसी के अलावा भी और कई लोग हैं। मोदी और चोकसी की जोड़ी ने पीएनबी को साल 2018 की शुरुआत में 14,000 करोड़ रुपये का चूना लगाया था।

    इसके अलावा सूची में शामिल एक और हाई-प्रोफाइल फरार विजय माल्या है, जिसके किंगफिशर एयरलाइंस के खाते में 597.4 करोड़ रुपये का बकाया है।

    अन्य डिफॉल्टरों में कुडोस केमी लि., चंडीगढ़ (1,301.8 करोड़ रुपये), विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी लि., सूरत (899.7 करोड़ रुपये), जस इन्फ्रास्ट्रक्च र एंड पॉवर लि., कोलकाता (410.9 करोड़ रुपये), जूम डेवलपर्स प्राइवेट लि., मुंबई/इंदौर (410.1 करोड़ रुपये) शामिल हैं।

    किंगफिशर एयरलाइंस, विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी लि., कुडोस केमी लि. और जूम डेवलपर्स प्राइवेट लि. जैसे कुछ डिफॉल्टर्स की फिलहाल केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की जा रही है।

    आईएएनएस द्वारा संपर्क किए जाने पर, पीएनबी के अधिकारियों ने डिफॉल्टरों की सूची पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

    हाल ही में, पीएनबी ने तारापुर टेक्सटाइल पार्क लि., पालघर (महाराष्ट्र) से लगभग 1.3 करोड़ डॉलर की वसूली की कार्यवाही शुरू की है, जिसने पीएनबी की लंदन शाखा से कर्ज प्राप्त किया था।

    आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अब पीएनबी इस मामले को सीबीआई और गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) को सौंपने की योजना बना रहा है और टीटीपीएल के अध्यक्ष अरुणकुमार मुछला और निदेशिका रितिका मुछला और त्रिखल मुछला द्वारा प्रदान की गई गारंटियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की है।

    इसे लेकर बैंकिंग हलकों में चर्चा है -कैसे भारत में पंजीकृत कंपनियों ने पीएनबी की विदेशी शाखाओं से बड़े पैमाने पर कर्ज लिया, और इसी तरह, कैसे विदेशों में पंजीकृत कंपनियों को कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के बिना, बैंक की भारतीय शाखाओं से कर्ज प्रदान किया गया।

    ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने आईएएनएस को बताया, “यह बहुत गंभीर मामला है कि एक बैंक के पास सार्वजनिक धन के बकाएदारों की इतनी बड़ी संख्या है।”

    उन्होंने कहा, “इसके अलावा, यह एक बैंक तक ही सीमित नहीं है और सभी बैंकों में इस तरह से कर्ज फंसे हुए हैं। बड़ी संख्या में डिफॉल्टर्स कॉरपोरेट या बड़ी कंपनियां हैं और उन सभी का फोरेंसिक ऑडिट किया जाना चाहिए। बैंक उन बड़े-बड़े डिफॉल्टर्स के खिलाफ आपराधिक मामले क्यों दर्ज नहीं करता, जबकि केवल सिविल मामला दर्ज होता है, जो सालों तक खिंचता रहता है।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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