सोमवार को फ्रांस के पेरिस में स्थिति ऐतिहासिक नोट्रे-डेम (notre dame) में भयंकर आग लग गयी थी। मंगलवार सुबह जब आग पर काबू पाया गया था, तब तक हजारों करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हो गया था।
घटना स्थल पर मौजूद लोगों नें बताया कि आग बुझाने वाले टीम नें 850 साल पुरानी मुख्य इमारत को तो बचा लिया है लेकिन इसकी छत और एक टावर नष्ट हो गए हैं।
आग के मुख्य कारण का अब तक पता नहीं चल पाया है।
कई युद्धों और क्रांतियों का गवाह बना नोट्रे-डेम कैथेड्रल गिरजाघर सदियों से अपनी बुनियाद पर मजबूती से खड़ा रहा है और इसे न केवल सर्वश्रेष्ठ गॉाथिक कैथेड्रल माना जाता है अपितु पाश्चात्य जगत की वास्तुकला के सर्वश्रेष्ठ रत्न के रूप में इसकी पहचान बनी हुई है।
एक प्रस्तरकला विशेषज्ञ के शब्दों में यह, ‘‘सभ्यता के सर्वोत्तम स्मारकों में एक’’ है। पर इसके सोमवार को इसमें आग लगने से विश्व की इस ऐतिहासिक थाती को गहरा नुकसान पहुंचा। इस घटना से कई कलामर्मज्ञ स्वयं को आहत महसूस कर रहे हैं और उनकी आंखों में नमी सूखने का नाम नहीं ले रही।
न्यूयार्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट’ एक वरिष्ठ क्यूरेटर बारबरा ड्रेक बोहेम ने रूंधी आवाज में कहा, ‘‘सभ्यता बहुत ही क्षणभंगुर है।’’
बारबरा ने कहा, ‘‘यह प्रस्तर निर्मित महान विशाल स्मारक 1163 से अपनी जगह पर खड़ा है। तब से इसने अनेक झंझावत देखे। यह केवल एक पत्थर भर नहीं है, एक शीशे का टुकड़ा नहीं-यह संपूर्णता है। वह अपनी बात में सही शब्दों की तलाश करती दिखीं ताकि वह इस कैथेड्रल की प्रासंगिकता को सही ढंग से अभिव्यक्त कर सकें।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह पेरिस की आत्मा है, लेकिन यह सिर्फ फ्रांस के लोगों का नहीं है। यह पूरी मानवजाति के लिए है, यह सभ्यता की सर्वश्रेष्ठ धरोहरों में से एक है।’’
‘नोट्रे-डेम’ का निर्माण 12वीं सदी में शुरू हुआ था, जो करीब 200 वर्ष तक चला। फ्रांस क्रांति के दौरान यह क्षतिग्रस्त भी हुआ। सन 1831 में विक्टर ह्यूगो के उपन्यास ‘द हंचबैक ऑफ नोट्रे-डेम’ के प्रकाशन के बाद इसने फिर लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
इसके बाद गिरिजाघर के प्रसिद्ध फ्लाइंग बट्रेस और एक पुनर्निर्मित शिखर सहित इसके पुर्ननिर्माण में दो दशक का समय लगा।
फ्रांस की मीडिया के अनुसार आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन कैथेड्रल में मरम्मत का नाम चल रहा था और दमकल विभाग का कहना है कि यह आग लगने की एक वजह हो सकती है।