Thu. Dec 19th, 2024
    नोटबंदी

    नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी के बाद जैसा कहा गया था कि इससे सारा देश डिजिटल पेमेंट की ओर अग्रसर हो जायेगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

    जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देश की चलन की कुल 86 फ़ीसदी मुद्रा को अवैध करार दे दिया गया था यानी 1000 व हज़ार के वो नोट जो चलन में थे उन्हें बंद करके यह कहा गया था इससे देश डिजिटल पेमेंट की तरफ रुख करेगा, लेकिन नोटबंदी के 2 साल बाद भी ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

    हालाँकि नवंबर 2016 यानी नोटबंदी के ठीक बाद डिजिटल पेमेंट में तेज़ी आई थी। लेकिन बाद में उसमें लगातार गिरावट देखने को मिली।

    नोटेबन्दी का काफी प्रचार होने के बावजूद उसे एक तरह की असफलता के रूप में आँका गया क्योंकि नोटेबन्दी के बाद उस वक़्त चलन में मौजूद करीब नोटों में से करीब 99.7 फीसदी नोट रिजर्व बैंक के पास वापस पहुँच गए और यही वजह रही कि काले धन के मामले में नोटेबन्दी असफल साबित हुई।

    हालाँकि नोटबन्दी के बाद देश में टैक्स देने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ। सरकार ने आंकड़ों में करीब 1 करोड़ नए करदाताओं को दर्शाया है, जो नवंबर 2016 के बाद करदाता बने हैं।

    नोटेबन्दी होने के ठीक बाद लोगों के पास भुगतान का कोई जरिया न होने के कारण उन्होने डिजिटल करेंसी को अपनाया, जिससे कुछ समय के लिए तो उसमें उछाल रही लेकिन बाद में वो ग्राफ़ लगातार नीचे गिरता गया।

    देश में इस अगस्त तक करीब 18.5 ट्रिलियन की करेंसी चलन में है जो नोटेबंदी से पहले 17.9 ट्रिलियन थी।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *