8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी की घोषणा के एक साल बाद देश की अर्थव्यवस्था में प्रतिकूल असर साफ दिखाई दे रहा है। आप को बता दें कि पिछले एक साल में देश में सोने की मांग में 25 फीसदी की गिरावट आई है। अंग्रेजी समाचार पत्र इकोनाॅमिक टाइम्स के मुताबिक देश में कालेधन की एंट्री तो बंद हो चुकी है लेकिन नोटबंदी का प्रतिकूल असर कारोबार में स्पष्ट तरीके से दिखने लगा है।
गौरतलब है कि नोटबंदी के शुरूआती महीनों में ज्वैलरी कारोबार में 75 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। लेकिन मार्केट में 500 रुपए और 2000 रुपए के नए नोटों के आने के बाद ज्वैलरी की डिमांड में बढ़ोतरी देखी गई। बावजूद इसके पिछले साल की तुलना में सोने की मांग में अभी भी 25 फीसदी कम है।
गौरतलब है कि साल 2015 में सोने की डिमांड 857.2 टन थी जबकि साल 2016 में सोने की डिमांड मात्र 675.5 टन रही। सोने की डिमांड में कमी की वजह जौहरियों की हड़ताल, नोटबंदी और बड़ी खरीददारी के लिए पैन की डिमांड शामिल है। साल 2017 के जनवरी और फरवरी महीने में भी सोने की डिमांड में नोटबंदी का असर साफ दिखा लेकिन अक्षय तृतीया के अवसर पर सोने की मांग में तेजी आई।
विश्व स्वर्ण परिषद के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से लेकर जून की तिमाही तक सोने की डिमांड में 37 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई।
इंडिया बुलियन एंड जूलरी एसोसिएशन के सचिव सुरेंद्र मेहता का कहना है कि नोटंबदी के बाद बाजार में कम पूंजी और कड़ी निगरानी के चलते सोने की तस्करी में बड़ी गिरावट आई है। यहीं नहीं सोने के कारोबार का अवैध ट्रेंड बिल्कुल खत्म होने की कगार पर है।
इंडिया बुलियन एंड जूलरी एसोसिएशन का ऐसा मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अब धीरे-धीरे सोने की डिमांड बढ़ रही है।
कई राज्यों में बारिश के चलते खरीफ की फसले प्रभावित हुई हैं,ऐसे में किसानों को अगली फसल की बुआई के लिए नकदी की जरूरत पड़ेगी। फसलों की अच्छी कीमत नहीं मिलने के कारण किसान मार्केट से सोने की खरीददारी नहीं कर पा रहे हैं।