पीएम मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश की जनता को संबोधित करते हुए नोटबंदी की घोषणा की थी। सरकार ने 8 नवंबर की आधी रात से ही 500 और 1000 रूपए के नोटों को बैन कर दिया था। आज नोटबंदी को लागू किए पूरे एक साल हो गए। जहां देश की सभी विपक्षी पार्टियां नोटबंदी को विनाशकारी बता रही हैं वहीं इकॉनोमी एक्सपर्ट भी नोटबंदी को असफल बता रहे हैं। देश में नोटबंदी की असफलता और सफलता को लेकर विवाद जारी है। ( सम्बंधित खबर : नोटबंदी का एक साल : फायदे और नुकसान )
तो आइए हम भी जानने की कोशिश करते हैं कि नोटबंदी के इन एक सालों में देश की अर्थव्यवस्था में कौन-कौन से बदलाव देखने को मिले हैं..
90 फीसदी करेंसी बैंकों में वापस :
सरकार को उम्मीद थी कुल कैश का लगभग 86 प्रतिशत बैन कर देने पर काफी बड़ा हिस्सा सिस्टम में वापस नहीं लौटेगा क्योंकि सरकार का मानना था कि इसमें बड़ी मात्रा में कालाधन है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और सरकार को निराशा तो तब हुई जब बैन की गई करेंसी का 90 फीसदी हिस्सा दोबारा बैंक में लौट आया।
कैशलेस ट्रांजैक्शंस का चलन:
नोटबंदी के दौरान मार्केट में नोटों के आभाव के चलते लोगों ने कैशलेस ट्रांजैक्शंस की ओर ध्यान दिया। ऐसे में सरकार ने कहना शुरू किया कि कैशलेस ट्रांजैक्शंस के लिए भी नोटबंदी जरूरी थी। लेकिन बाजार में नोटों की सप्लाई होते ही कैशलेस ट्रांजैक्शंस में गिरावट देखी गई। हांलाकि देश में पहले के मुकाबले कैशलेस ट्रांजैक्शंस का चलन कई गुना बढ़ा है। ऐसा में ये कहना गलत नहीं होगा कि इसी बहाने जनता कैशलेस ट्रांजैक्शंस की ओर बढ़ गई। इससे सिस्टम में कुछ तो पादर्शिता अवश्य देखने को मिली है।
500 और 2000 के नकली नोटों की भरमार:
रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार ने दावा किया कि नोटबंदी के बाद मार्केट में आए 500 रूपए और 2000 रूपए के नए नोटों की नकल करना इतना आसान नहीं होगा। यहां तक कि आरबीआई ने इसे पुराने नोटों के मुकाबले सुरक्षित बताया था। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इंडियन इकॉनोमी में पहले की तरह ही ज्यादा मात्रा में 500 और 2000 रूपए के फर्जी नोट शामिल होे चुके हैं।
आयकर विभाग फायदे में रहा:
इसमें कोइ दो राय नहीं कि नोटबंदी के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में इजाफा देखने को मिला। यानि पिछले सालों के मुकाबले इनकम रिटर्न भरने वालों की संख्या में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। आपको जानकारी के लिए बतादें इनकम रिटर्न भरने वालों की संख्या साल 2015-16 में 2.23 करोड़ थी। लेकिन साल 2016-17 में आयकर दाखिल करने वालों की संख्या बढ़कर 2.79 हो गई।