नेपाल सरकार 1200 मेगा वाट बूधी गंडकी हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के इस कॉन्ट्रैक्ट का उपहार एक चीनी कंपनी गेज़होउबा को को दे रहा है। ऊर्जा मंत्री बर्षमान पुन ने बताया कि प्रधानमंत्री के पी ओली कि अगुवाई में सदन की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा ऊर्जा मंत्री चीनी कंपनी के साथ बातचीत कर इस सौदे को औपचारिक जामा पहना देंगे। साल 2017 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल कि अगुआई में इसी चीनी कंपनी के साथ हीड्रोप्रॉजेक्ट के सौदे पर हस्ताक्षर किये थे।
हालाँकि शेर बहादुर देबुआ कि अगुआई वाली सरकार ने इस सौदे को रद्द कर दिया था। देबुआ सरकार ने कहा था कि गेज़होबा के साथ सौदा पारदर्शी नहीं था। साथ ही उन्होंने ये ऐलान किया कि राज्य द्वारा चलाई जाने वाला यह प्रोजेक्ट नेपाल बिजली विभाग के अंतर्गत होगा।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सदन की बैठक में निर्णय लिया कि नेपाल बिजली विभाग के साथ इस प्रोजेक्ट को रद्द करके चीनी कंपनी को दिया जा रहा है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2.5 बिलियन डॉलर थी लेकिन अब यह बढ़कर तीन बिलियन डॉलर हो गयी है।
प्रधानमंत्री ओली चीन के साथ नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने चीन के साथ व्यापार और पारवहन के समझौते किये है। संसद में अधिक संख्या में सीट मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था कि सत्ता के हस्तांतरण के बाद हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट नेपाल बिजली विभाग से लेकर चीनी कंपनी को दे दिया जायेगा।
भारत और नेपाल के बीच सम्बन्धो में अभी मनमुटाव चल रहा है इसका कारण नेपाली प्रधानमंत्री का वामपंथी विचारधारा का समर्थक होना भी माना जाता है।