प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार ने संसद में सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी लेख लिखने वालों के खिलाफ मसौदा प्रस्तावित किया है। नेपाली क्रांग्रेस में विपक्षियों ने इसका विरोध किया था।
हिमालय टाइम्स के मुताबिक सूचना तंत्र पर नियंत्रण और प्रबंधन से संबधित इस मसौदे में सरकार ने ऑनलाइन सरकार विरोधी कन्टेन्ट लिखने वाले पर 15 लाख जुर्माना और पांच साल की कैद की सजा का प्रावधान रखा है।
नेपाल के सांसद और पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री मिनेन्द्र रिजल ने कहा कि सोशल मीडिया पर संदेश या खबर को प्रकाशित करने पर इतनी कठोर सजा का प्रावधान रखकर सरकार इसे अपराधिक कृत्य करार नहीं दे सकती है। उन्होंनो कहा कि सदन में सरकार द्वारा यह बिल रखा जाना इस बात की तरफ इशारा है कि वामपंथी सरकार अब निरंकुश शासन की तरफ बढ़ रही है। उन्होंने यह बात नेपाल में लोकतंत्र के सिकुड़ने पर आयोजित कार्यक्रम लोकतांत्रिक अभियान के आयोजन पर कही थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी मे कहा कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा के नेतृत्व की सरकार के पास दो-तिहाई बहुमत है, वह विचारों की आजादी और प्रेस स्वतंत्रता को नियंत्रण करने के लिए ऐसे कानून लाकर हम पर निरंकुश शासन नही थोप सकते हैं। उन्होंनो कहा कि ओली सरकार यह साबित करने पर उतारू है कि दो-तिहाई बहुमत के साथ वह कुछ भी कर सकती है, जो लोकतंत्र के विरूद्ध है।
हाल ही में नेपाली सरकार की आपत्ति के बाद लोक गायक पशुपति शर्मा ने भ्रष्टाचार पर बने अपने गीत को यूट्यूब से हटा लिया था। इस गाने में भ्रष्टाचार, सामाजिक विसंगतियों और देश की ताकतवर हस्तियों द्वारा आरामदायक जीवन यापन पर कटाक्ष किया गया था।
सत्ताधारी पार्टी से जान के खतरे के कारण इस लोक गीत को सोशल मीडिया से हटा लिया गया था। 48 घंटों में इस गीत को हजारों लोगों ले शेयर किया था। हटा दिये जाने के बावजूद इस गीत को काफी लोकप्रियता हासिल हुई थी। इस गाने मे राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी पर भी प्रहार किया गया था, उन्होंने कथित रूप से 1.5 अरब डॉलर की वस्तुएं खरीदी थी।