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    भारत चीन नेपाल

    नेपाल ने माउंट एवरेस्ट से संबंधित भारत की पेशकश को ठुकरा दिया है। नेपाल में 2015 के भूकंप के बाद माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई थोड़ा कम होने की आशंका थी। इस भूकंप में करीब 8000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके बाद में भारत ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को संयुक्त रूप से दोबारा मापने के लिए नेपाल को पेशकश की थी जिसे नेपाल ने खारिज कर दिया है।

    नेपाल के सर्वेक्षण विभाग के प्रमुख ने कहा है कि वह अपने दम व संसाधनों के बल पर माउंट एवरेस्ट का सर्वेक्षण कर सकते है। हालांकि नेपाल सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक गणेश भट्ट ने कहा कि महत्वपूर्ण आंकड़ो के लिए वो भारत व चीन की मदद जरूर ले सकता है।

    गौरतलब है कि साल 2015 में आए भूकंप में करीब 8000 से ज्यादा लोग तो मरे ही थे साथ ही में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई भी कम होने की बात कही जा रही थी।

    राष्ट्रीय भौगोलिक सोसायटी और बोस्टन के संग्रहालय विज्ञान द्वारा साल 1999 में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को 8850 मीटर बताया गया था जिसे कई पश्चिमी पर्वतारोही मानते है। लेकिन चीनी पर्वतारोही व शोधकर्ताओं ने इसकी ऊंचाई 8844.43 मीटर मापी है।

    खुद ही नापेगा माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नेपाल

    भारत का मानना है कि नेपाल द्वारा इस प्रस्ताव को ठुकराने के पीछे चीन का हाथ है। संभावना है कि चीन व नेपाल मिलकर माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का फिर से मापन कर सकते है।

    भारत के सर्वेयर जनरल मेजर गिरीश कुमार ने कहा कि नेपाल ने हमारे प्रस्ताव का जवाब नहीं दिया है। हालांकि उसने कहा है कि वो खुद ही माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को मापेंगे।

    कुमार ने बताया कि चीन ने साल 1975 और 2005 में माउंट एवरेस्ट को मापा था। वहीं भारत ने साल 1956 में इसे मापा था।

    नेपाल के द्वारा भारत की पेशकश को मना करना दोनो देशों के लिए अच्छे संकेत नहीं कह जा सकते है। जबकि हाल ही में नेपाल में चुनाव सम्पन्न हुए है। ऐसे में भारत की पेशकश को ठुकराना नई सरकार की योजना के हिसाब से भी हो सकता है।