नेपाल में आये विध्वंशक भूकंप की मार को गुरूवार को चार वर्ष हो गए हैं और इसमें 8000 से अधिक लोगोकी जान गयी थी और 20000 से अधिक लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे। देश में साल 2015 के भूकंप पीड़ितों के घरो का पुनर्निर्माण किया जा चुका है। यह कार्य यूएन डेवलपमेंट प्रोग्राम स्कीम के तहत भारत सरकार और नेपाल हाउस रिकंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट की सहायता से किया गया है।
साल 2015 के भूकंप के बाद साणु माया बीके अपने दो बेटो और बहु के साथ एक झोपडी के गुजर बसर कर रही है क्योंकि इस आपदा में उनका घर तबाह हो गया था। माया उन लोगो में शुमार है जो गोरखा जिले में अपने नए घरो में जाने को तैयार है।
माया को उनके पति ने त्यागा हुआ है और उन्हें निर्माण प्रोजेक्ट का जरा भी अंदाजा नहीं था और उन्हें इसकी जानकारी यूएन के सामाजिक अभियानकर्ताओं और कार्यकर्ताओं से मिली थी जो वंचित परिवारों के घर जाकर उन्हें इस प्रोजेक्ट और इसके फायदे के बाबत जानकारी मुहैया कर रहे हैं।
माया ने एएनआई से कहा कि “इसने चीजों को और आसान बना दिया है। मुझे इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ताओं से हुआ जो गाँव में निर्मित और निर्माणाधीन घरो के आंकड़ें जुटाने आये थे।” भारत सरकार ने यूएनडीपी को परामर्शदाता के तौर पर नियुक्त किया है। गोरखा ने 26912 घरो का निर्माण किया जाना है। नवकोट जिले में भी यूएनडीपी के अंतर्गत निर्माण कार्य किया जा रहा है जहां 23088 घरो का निर्माण हो चुका है।
गोरखा जिले से एक अन्य लाभार्थी बिमला लामिछाने को अपने घर के पुनर्निर्माण के लिए भारत सरकार और यूएनडीपी से मदद मिली है। साल 2015 में बिमला का घर ध्वस्त हो गया था इसलिए मज़बूरन उन्हें अपने बेटो के साथ अपने पिता के घर जाना पड़ा था लीक अब वह वापस अपने नए घर में आने की योजना बना रही है।
उन्होंने कहा कि “मैं जल्द ही वापस आउंगी। मैं यहां रहूंगी और मेरे बेटो को शिक्षा पूरी करने की जरुरत है। मैं यहां आऊंगी और यही रहूंगी।” नेपाल सरकार ने बिमला को तीन लाख नेपाली रूपए दिए थे लेकिन इतने में हर का निर्माण संभव नहीं था ऐसे में भारत सरकार बिमला की मदद के लिए आगे आयी थी।
नेपाल हाउस रिकंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के समन्वयक नरेश अग्रवाल ने बताया कि “इस मकान के निर्माण की अनुमानित लागत पांच लाख थी लेकिन हमने इसका निर्माण तीन लाख में किया। यह संभव है क्योंकि पुराने घर का मटेरियल इस्तेमाल किया गया था इसलिए अतिरिक्त मटेरियल की जरुरत नहीं हुई। ”
भारत सरकार ने नेपाल में मकानों के पुनर्निर्माण के लिए एक लाख डॉलर मुहैया करने की प्रतिबद्धता दिखाई थी। साथ ही 15 करोड़ डॉलर आवासीय सेक्टर के पुनर्निर्माण के लिए दिए थे जिसमे 10 करोड़ डॉलर मदद दी थी और 5 करोड़ डॉलर लाइन ऑफ़ क्रेडिट था। भारत ने 25 लाख डॉलर विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और सांस्कृतिक विरासत के लिए मुहैया किये थे।