भारत और नेपाल ने बोर्डर की सुरक्षा ख़बरों के मुताबिक निर्णय लिया है कि भारत-नेपाल सीमा पर रोहिंग्या शरणार्थियों की गतिविधियों पर नज़र रखेंगे। भारत के उत्तरप्रदेश के लखीमपुर जिले में 27 अक्टूबर को भारत और नेपाल के मध्य सीमा सुरक्षा बैठक हुई थी।
दोनों राष्ट्रों ने फैसला लिया है कि सीमा पर अवैध शरणार्थियों और मुस्लिम उग्रवादी समूहों की गतिविधियों पर नज़र रखी जाएगी और दोनों राष्ट्र एक-दूसरे को इसकी सूचना मुहैया करेंगे। हाल ही में सुरक्षा कर्मियों को सबूत मिले थे कि सीमा पार करके रोहिंग्या शरणार्थी नेपाल में प्रवेश कर रहे हैं।
रोहिंग्या शरणार्थियों पर म्यांमार की आर्मी ने कहर बरपाया था। यह दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता शरणार्थी संकट है। म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिकता देने से इनकार कर दिया था। म्यामार के रखाइन इलाके में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों के पास आज सिर छिपाने को जगह नहीं है।
म्यांमार की क्रूरता से अपने जीवन को सुरक्षित करने के लिए रोहिंग्या शरणार्थियों ने देश का त्याग कर दिया था। साल 2012 में रखाइने में हुई हिंसा में 140000 रोहिंग्या मुस्लिमों को जबरन शिविरों में ले जाया गया था। म्यांमार को छोड़कर रोहिंग्या शरणार्थी अन्य देशों के शिविरों में पनाह ले रहे हैं। इनमे से कुछ भारत और नेपाल की खुली सीमा से नेपाल में प्रवेश कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने काठमांडू में शिविरों में 360 रोहिंग्या शरणार्थियों पहचान की है। नेपाल सरकार उन्हें शरणार्थी नहीं बल्कि अवैध घुसपैठिये कहती है।
नेपाल के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि नेपाल बॉर्डर पर सख्त सर्विलांस होने के कारण रोहिंग्या शरणार्थी प्रवेश नहीं कर सकते हैं। हालांकि कुछ शरणार्थी सीमा पार करने में सफल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमने नेपाल की तीन सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिए है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को नेपाल में प्रवेश न करने दे।
संयुक्त राष्ट्र ने काठमांडू के शिविरों में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए बुनिवादी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कर दी है। साथ ही शरणार्थियों के बच्चों को काठमांडू के स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार भी दिया है।