भारत के बहुत लम्बे समय से मित्र रहे नेपाल नें भारत को करार झटका दिया है। दरअसल हाल ही में नेपाल नें भारत के साथ मिलकर एक युद्धाभ्यास करने की घोषणा की थी। अब नेपाल नें कहा है कि वह कुछ आन्तरिक कारणों की वजह से इसमें शामिल नहीं हो सकता है।
भारत नें नेपाल के इस फैसले पर नाराजगी जताई है। भारत नें कहा है कि नेपाल नें जो कारण बताया है, वह अर्थहीन है।
इसके अलावा नेपाल नें भारत को छोड़ चीन के साथ युद्धाभ्यास करने का फैसला किया है। चीन और नेपाल मिलकर सितम्बर के अंत में एक युद्धाभ्यास करेंगे।
नेपाल नें इस फैसले पर कहा है कि चीन के साथ उनका युद्धाभ्यास पहले से ही निश्चित किया जा चुका है।
नेपाल और चीन की सेनायें इस महीनें के अंत में 10 दिनों के लिए युद्धाभ्यास करेंगी।
भारत के लिए नेपाल का यह रुख कोई नया नहीं है। जब से नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली बने हैं, तब से ही नेपाल का रुख चीन की ओर हो गया है।
चीन नें भी इस दौरान पूरी कोशिश की है कि वह नेपाल को भारत से दूर कर सके। आपको बता दें कि कुछ सालों पहले तक भारत नेपाल का अकेला व्यापारिक साथी था। नेपाल अधिकतम चीजें भारत से आयात करता था।
बिजली, पानी आदि के लिए भी नेपाल भारत पर निर्भर रहता था। अब हालाँकि चीन नें अपना पलड़ा भारी कर लिया है।
चीन नें पिछले कुछ समय में नेपाल में भारी निवेश किया है। चीन नें नेपाल में ऊर्जा संयत्र, सोलर प्लांट, बाँध आदि बनाये हैं और भारी मात्रा में निवेश किया है।