संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के लिए उप प्रवक्ता फरहान हक ने आंकड़ो के मुताबिक बताया कि बांग्लादेश, भारत, नेपाल और म्यांमार में मूसलाधार बारिश के कारण बाढ़ से करीब 600 लोगो की मौत हुई है और 2.5 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इनमे से आधे से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं।
हक ने कहा कि “संयुक्त राष्ट्र के मानवीय कर्मियों के अनुसार बांग्लादेश, भारत, नेपाल और म्यांमार में मूसलाधार बारिश के कारण 2.5 करोड़ से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, इनमे से आधी आबादी विस्थापित हो गयी है। भारत में यूनिसेफ राज्य सरकारों के साथ असम, बिहार और उत्तर प्रदेश के तीन सबसे प्रभावित राज्यों में बहुक्षेत्रीय योजना और समन्वय समर्थन प्रदान कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा कि “सड़कों, पुलों और रेलवे को नुकसान पहुंचाने के कारण कई इलाके जर्जर है। बच्चों के लिए सबसे ज़रूरी साफ़ पानी, स्वच्छता, बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए भोजन आपूर्ति और बच्चों के लिए निकासी केंद्रों में सुरक्षित स्थान मुहैया किये गए हैं।”
भारत में, असम, बिहार, उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में एक करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें 43 लाख से अधिक बच्चे भी हैं। स्थिति के सँभलने तक संख्या बढ़ने की संभावना है।
सिर्फ असम में लगभग 2,000 स्कूल बाढ़ के पानी से क्षतिग्रस्त हुए हैं। जबकि भारत के कुछ भागो को भारी बारिश और बाढ़ का सामना करना पड़ा रहा है। अन्य हिस्सों में अभी भी भीषण गर्मी और पानी की कमी हो रही है, जिससे देश का लगभग आधा हिस्सा प्रभावित हो रहा है।
बांग्लादेश में अनुमान के अनुसार, 40 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और संयुक्त राष्ट्र जरूरतों का आकलन करने में मदद कर रहा है और पानी और स्वच्छता के साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भी सरकार का समर्थन कर रहा है।
म्यांमार में 40,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। हक ने कहा कि “सभी चार देशों की सरकारें संयुक्त राष्ट्र, सहायता एजेंसियों और निजी क्षेत्र से समर्थन के साथ प्रतिक्रिया का नेतृत्व कर रही हैं।”
पिछले हफ्ते, संयुक्त राष्ट्र के बच्चों की एजेंसी यूनिसेफ ने कहा कि नेपाल, भारत और बांग्लादेश में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन ने करीब 93 बच्चों की जान ले ली है और लाखों लोगों की जान जोखिम में डाल दी है।
यूनिसेफ ने अनुमान लगाया कि लगभग 50 लाख बच्चों सहित 12 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। नेपाल में अनुमानित 68,666 लोग अस्थायी रूप से विस्थापित हैं, जिनमें 28,702 बच्चे शामिल हैं। कुल 88 लोग मर गए हैं, जिनमें 47 बच्चे भी शामिल हैं।
लगभग 700,510 बच्चों सहित बाढ़ से 20 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। अनुमानित 367,341 घर क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गए हैं और 1,866 प्राथमिक और सामुदायिक स्कूल बाढ़ के पानी से क्षतिग्रस्त हुए हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों का घर भी बाढ़ की चपेट में आ गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि “इस क्षेत्र में हम बच्चों और परिवारों पर मौसम की घटनाओं के विनाशकारी प्रभाव को देख रहे हैं। क्योंकि मौसम की घटनाएं अधिक चरम, अप्रत्याशित और अनिश्चित होती हैं, यह वे बच्चे हैं जो इसकी सबसे भारी कीमत चुका रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि “इस तरह की घटनाओं से मृत्यु और तबाही हो सकती है और कुपोषण, मलेरिया और दस्त जैसी बिमारियों का बच्चों पर अधिक असर हो सकता है।”
स्वास्थ्य केंद्रित राहत और विकास संगठन अमेरिका ने कहा कि “भारत में मानसून की बारिश से बचे हुए लोगो के इलाज के लिए मेडिकल टीम भेजी जा रही है।” अगले सप्ताह से, अमेरिका भारत असम में तीन जिलों और बिहार में दो जिलों में चिकित्सा टीमों का गठन करेगा। इन इलाको में लगातार बारिश और दूषित पानी ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है।
स्थानीय स्वास्थ्य संगठनों के साथ साझेदारी में संचालित टीमें जरुरत के मुताबिक चिकित्सा देखभाल और दवाइयाँ उपलब्ध कराएंगी। अमेरिका के प्रबंधक निदेशक श्रीपाद देसाई ने कहा कि “घरों और सड़कों के साथ कई फुट जमा पानी में हम संक्रमणों में वृद्धि देख सकते हैं। हमारी चिकित्सा टीम गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित सबसे कमजोर बचे लोगों के लिए प्राथमिक देखभाल और बुनियादी प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।”