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    नेपाल

    नेपाल न्यूज़ एजेंसी राष्ट्रीय समाचार समिति के तीन पत्रकारों को तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के बारे में रिपोर्टिंग करने पर जांच की पेंच में फंस चुके हैं। नेपाली सनसार के मुताबिक पत्रकार मोहनी रिसाल, सोमनाथ लामिछाने और जीवन भंडारी आरएसएस के विदेशी डेस्क पर कार्य करते हैं। इन तीनो पत्रकारों पर चीन के क्रोध के कारण जांच की जा रही है।

    विदेश डेस्क ने तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु की स्वास्थ्य हालात के बाबत खबर प्रकाशित की थी। जिसमे उनके अस्पताल में भर्ती होने से लेकर डिस्चार्ज होने तक सारी खबर थी। आरएसएस के चेयरमैन हरी अधिकारी श्यामल ने कहा कि “वह ऐसे कंटेंट को प्रकाशित करने के लिए जांच के घेरे में हैं जो हमारे लिए बेहद संवेदनशील है।”

    नेपाल के संचार एवं सूचना तकनीक मंत्रालय ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे और इसके बाद तीनो पत्रकारो के खिलाफ जांच शुरू की गयी है। गठित जांच समिति के सदस्य ने बताया कि “उन्हें दलाई लामा के बारे में खबर लिखने के लिए आरोपी ठहराया गया है जिसके आदेश मंत्रालय ने दिए हैं। पत्रकारों ने कवरेज के बाबत अपने जवाब दे दिए हैं।”

    उन्होंने कहा कि “पत्रकारों के अनुसार उन्होंने वह खबर मानवीय आधारों के आधारित थी और यह एक बेहतरीन खबर थी। यह सभी के लिए चिंता का मामला है।” नेपाल में स्टेट एजेंसी के वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि “यह पहली बार नहीं है जब आरएसएस के पत्रकारों की जांच की जा रही है। इससे पूर्व चीनी दूतावास ने न्यूज़ कंटेंट पर निगरानी रखने के लिए दबाव बनाया था और अपने हितों को रेखांकित किया था। इसके कारण देश में पत्रकारिता का माहौल पंगु होता जा रहा है।”

    एक पत्रकार ने चीन के सम्बन्ध में दावा करते हुए कहा कि “हम सिर्फ उन्ही खबरों को प्रकाशित करते हैं विदेशी चैनलो से हमें मिलती है। हमने अंग्रेजी की खबर को अपनी भाषा में लिखा, इसमें दलाई लामा के अस्पताल में भर्ती, स्वास्थ्य में सुधार और डिस्चार्ज के बारे था। इसने चीन का ध्यान खींचा क्योंकि यह नयी दिल्ली से जुड़ा हुआ था।”

    नेपाल की वामपंथी सरकार संसद में पत्रकारों की आज़ादी को सीमित करने के लिए “मीडिया कॉउन्सिल बिल” लेकर आ रही है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में नेपाली सरकार संसद में बीते हफ्ते एक नए प्रस्ताव को लाने के लिए पंजीकरण किया था इसके तहत अगर पत्रकार, मीडिया समूह, संपादक और प्रकाशक मीडिया के नियमों का उल्लंघन करेंगे तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जायेगा।

    पत्रकार, मीडिया समूह, संपादक और प्रकाशक फैसले के 35 दिनों के अंदर उच्च न्यायलय में इस निर्णय के खिलाफ याचिका दायर भी कर सकते हैं। अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाता है तो मौजूदा निगरानी संस्था खारिज हो जाएगी और एक नयी मीडिया परिषद् का गठन होगा।

    द फ्रीडम फोरम की अप्रैल में जारी रिपोर्ट में नेपाल में एक वर्ष में 104 वारदातों के उल्लंघन का जिक्र जिक्र किया गया है और यह साल 2017 में बढ़कर दोगुना हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, विगत वर्ष नेपाल में फ्रेस आज़ादी के लिए चुनौतीपूर्ण और निराशाजनक हो गया था। प्रेस के खिलाफ उल्लंघन में सार्थक वृद्धि थी। स्वतंत्र प्रेस के पक्ष में नीतियों और कानूनों को नहीं निर्मित किया गया था और पत्रकारों पर डिजिटल निगरानी रखने में वृद्धि हो गयी थी।

    इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ जर्नालिस्ट ने भी नए बिल पर पुनर्विचार करने की सलाह दी थी और सभी सम्बंधित विभागों से नेपाल में स्वतंत्र प्रेस को कायम रखने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि “इस प्रस्तावित विधेयक में शामिल कठोर प्रावधानों का मीडिया की स्वतंत्रता पर व्यापक प्रभाव होगा। हम नेपाल की सरकार से मीडिया सहयोगियों से चर्चा और इस प्रावधान पर दोबारा माथापच्ची करने का आग्रह करते हैं।”

     

     

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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