Thu. Nov 7th, 2024

    नेपाल में सियासी हलचल काफी ज्यादा तेज हो चुकी है। नेपाल में सियासी अस्थिरता का माहौल पिछले कुछ महीनों से जारी है। नेपाल के प्रधानमंत्री के के पी ओली ने कुछ समय पहले संसद भंग कर दी थी और उसके बाद अप्रैल में नए सिरे से चुनाव का ऐलान किया था। इसके बाद नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने के पी ओली को पहले तो पार्टी के अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया और उसके बाद उन्हें उनकी पार्टी से सदस्यता को भी रद्द कर दिया।

    यह कार्यवाही नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचंड गुट ने प्रधानमंत्री के पी ओली के खिलाफ की है। एएनआई के मुताबिक स्प्लिंटर ग्रुप के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने यह खबर दी है। के पी ओली पर इस तरह की कार्यवाही का कारण यह भी माना जा रहा है कि उनके नेतृत्व में नेपाल की चीन के साथ सांठ गांठ मजबूत हो रही थी। के पी ओली चीन के बहकावे में आसानी से आ जाते हैं, ऐसा माना जाता है।

    इसी बीच नेपाल के चुनाव आयोग ने नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों में से किसी भी गुट को आधिकारिक मान्यता देने से मना कर दिया है। नेपाल चुनाव आयोग का कहना है कि दोनों में से कोई भी गुट वैध दर्जा हासिल करने के लिए सही प्रक्रियाओं को अपनाने में सफल नहीं रहे हैं इसलिए उन्हें मान्यता नहीं मिलेगी। इसके बाद नतीजा यह निकला है कि के पी ओली और कमल दहल प्रचंड पार्टी में विभाजन के बावजूद भी अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे।

    बहरहाल यह समझना अभी भी मुश्किल लग रहा है कि नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता कब खत्म होगी। वहीं विशेषज्ञों की मानें तो उनका कहना है कि भारत को भी नेपाल के मामले पर कोई स्टैंड लेना चाहिए क्योंकि चीन नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किसी भी तरह से और कभी भी कर सकता है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *