चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नेपाल की दो दिवसीय यात्रा के बाद वापस मुल्क लौट रहे हैं। दो दिनों की इस यात्रा के दौरान उन्होंने कई समझौतों पर दस्तखत किये थे। बीते 23 वर्षो में किसी चीनी राष्ट्रपति की यह पहली नेपाल ली यात्रा थी ताकि काठमांडू और बीजिंग के बीच द्विपक्षीय संबंधो पर कार्य किया जा सके।
ट्रांस हिमालयन रेलवे, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, टेक्निकल यूनिवर्सिटी और अन्य कई मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग पर दोनों देशो के बीच दस्तखत हुए हैं। शी ने रसुवगधी-छारे-काठमांडू टनल के निर्माण और अरनिको हाईवे को अपग्रेड करने का वादा किया है।
शनिवार को जिनपिंग ने ऐलान किया कि वह ट्रांस बॉर्डर रेलवे पर लचीलता से अध्ययन करेंगे जो नेपाल और चीन की जमीं से जोड़ता है। उन्होंने यह ऐलान नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के साथ आयोजित समारोह में की थी।
चीनी राष्ट्रपति ने नेपाल में विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देबुआ से भी मुलाकात की थी और नेपाल व चीन के बीच दशकों पुराने सम्बन्धो को मज़बूत करने के तरीको पर चर्चा की थी।
चीन नेपाल की भारत पर निर्भरता को कम करने की कोशिशो में जुटा हुआ है। यह लिंक चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का भाग होगा जिसमे नेपाल ने साल 2017 में हस्ताक्षर किये थे। ओली के आला सहायको में से एक राजन भट्टराई ने कहा कि “इस योजना के लचीलेपन का अध्ययन चीनी के जानकारों ने किया था।”
चीन के साथ रेलवे की परियोजना को चीन भारत से निर्भरता को खत्म करने के लिए एक वैकल्पिक चयन के तौर पर देखता है। नेपाल के दो-तिहाई व्यापार पर भारत का कब्ज़ा है और यह ईंधन के सप्लाई का एकमात्र स्त्रोत है। साल 2015 में बॉर्डर क्रोसिंग में बाधा उत्पन्न होने के कारण नेपाल में कई महीनो तक दवाइयों और ईंधन की काफी किल्लत रही थी।