नेपाल के कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि “तिब्बत में जारी सड़क विस्तार परियोजना के जरिये चीन नेपाली सरजमीं पर अतिक्रमण कर रहा है।” मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चार विभिन्न जिलों की 36 हेक्टर जमीन चीनी सीमा से सटी थी और अब वह चीनी सरजमीं का भाग है।”
चीन ने नदी के बहाव की दिशा परिवर्तन कर दी है और अब वह नेपाल की तरफ बहती है और यह जमीन के अतिक्रमण का परिणाम है। मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा कि “तिब्बत की तरफ से नेपाल अपनी सौ एकड़ जमीन को गँवा बैठेगा।” नेपाल के सर्वेक्षण विभाग ने साल 2015 में नेपाल-सिनो सीमा पर नदी के बहाव के बाबत एक महीने तक का सर्वे किया था।
सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, हुम्ला के भगदरे नदी की छह हेक्टयर जमीन और नदी क्षेत्र कर्णाली में चार हेक्टयर लैंड पर अतिक्रमण कर लिया गया है और अब वह क्षेत्र तिब्बत के फुरंग में पड़ता है। रासुवा जिले की सन्जें नदी, भुरजंग नदी और जंबुखोला का कुल छह हेक्टेयर जमीन थी जो अब तिब्बत के केरुंग क्षेत्र मे पड़ता है।
सिन्धुपाल्चोव्क, खरने खोला और भोटेकोशी के कुल 11 हेक्टेयर क्षेत्र पर अतिक्रमण कर लिया गया है और अब यह तिब्बत के न्यालम क्षेत्र में भाग है। चीन के स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत में सड़क विस्तार के कारण सांखुवासबा में 9 हेक्टेयर जमीन पर भी अतिक्रमण कर दिया गया है और कमुखोला, अरुण नदी और सम्जुंग नदी के नजदीक का क्षेत्र अब तिगयिशयन क्षेत्र में पड़ता है।
नेपाल की सरकार ने चीन से सटे अन्य जिलों में जमीन का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। इसमें ताप्लेजुंग, सोलुखम्बू, दोलखा, गोरखा, मनंग, मस्टंग, डोपला, मुगु और दार्चुला में भी ऐसे ही अतिक्रमण का संदेह है।