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    कंप्यूटर नेटवर्क में NAT network translation address in hindi, computer networks

    विषय-सूचि

    नेटवर्क एड्रेस ट्रांसलेशन क्या है? (network address translation in hindi)

    इन्टरनेट को एक्सेस करने के लिए एक पब्लिक IP एड्रेस की जरूरत पड़ती है। लेकिन चूँकि आप अपने प्राइवेट नेटवर्क में एक प्राइवेट IP एड्रेस का प्रयोग कर रहे होते हैं, इसीलिए उस प्राइवेट IP स्द्द्रेस को पब्लिक IP एड्रेस में ट्रांसलेट करना जरूरी होता है।

    नेटवर्क एड्रेस ट्रांसलेशन (NAT) वो प्रक्रिया है एक या एक से ज्यादा लोकल IP एड्रेस को एक या उस से ग्लोबल IPज्यादा  एड्रेस में ट्रांसलेट कर दिया जाता है। ऐसा लोकल होस्ट को इन्टरनेट एक्सेस की सुविधा देने के लिए किया जाता है। NAT सामान्यतः राऊटर या फिर फ़ायरवॉल पर काम करता है।

    NAT के कार्य (work of network address translation in hindi)

    अधिकतर राऊटर के बॉर्डर को NAT के लिए कॉन्फ़िगर किया जाता है। इसका अर्थ ये हुआ कि ऐसा राऊटर जिसका एक इंटरफ़ेस लोकल (अंदर) नेटवर्क में हो और एक इंटरफ़ेस ग्लोबल नेटवर्क में हो (बाहर)।

    जब किसी पैकेट को लोकल नेटवर्क यानी कि अंदर से बाहर भेजा जाता है तब NAT उस लोकल यानी कि प्राइवेट IP एड्रेस को ग्लोबल यानि कि पब्लिक IP एड्रेस में ट्रांसलेट कर देता है।

    जब पैकेट लोकल नेटवर्क में आता है यानी अंदर आता है तो ग्लोबल यानी कि पब्लिक IP एड्रेस को लोकल यानी कि प्राइवेट IP एड्रेस में कन्वर्ट करने का कार्य किया जाता है।

    अगर NAT के पास देने के लिए कोई एड्रेस नही हो, मतलब कॉन्फ़िगर किये गये पूल में कोई एड्रेस बचा ही नहीं हो तब पैकेट को ड्राप कर दिया जाता है और एक इन्टरनेट कण्ट्रोल मैसेज प्रोटोकॉल (ICMP) सन्देश भेज कर सूचित कर दिया जाता है कि अभी डेस्टिनेशन तक नहीं पहुंचा जा सकता।

    NAT एड्रेस: इनसाइड और आउटसाइड

    इनसाइड का तात्पर्य उन एड्रेस से है जिन्हें ट्रांसलेट करना अनिवार्य है। आउटसाइड का तात्पर्य उन मैसेज से हुआ जो आर्गेनाइजेशन के नियंत्रण में नही हैं। निम्नलिखित वो नेटवर्क एड्रेस हैं जिनमे ट्रांसलेशन किया जाता है:

    • Inside local address – ये वो IP एड्रेस है जो इनसाइड नेटवर्क यानी कि लोकल नेटवर्क में होस्ट को असाइन किया गया हो। ये सम्भवतः सर्विस प्रोवाइडर द्वारा असाइन किया गया IP एड्रेस नहीं होता बल्कि ये प्राइवेट IP एड्रेस होता है। ये एक इनसाइड होस्ट है जिसे इनसाइड नेटवर्क से देखा जाता है।
    • Inside global address – ऐसा IP एड्रेस जो कि आउटसाइड वर्ल्ड में एक या एक से ज्यादा इनसाइड लोकल IP एड्रेस को दिखाता है। ये आउटसाइड नेटवर्क से देखा जाने वाला इनसाइड होस्ट होता है।
    • Outside local address – ये लोकल नेटवर्क में ट्रांसलेशन के बाद डेस्टिनेशन होस्ट का असली IP एड्रेस है।
    • Outside global address – ये आउटसाइड नेटवर्क से देखा जाने वाला आउटसाइड होस्ट ही है। ये ट्रांसलेशन से पहले आउटसाइड डेस्टिनेशन होस्ट का IP एड्रेस होता है।

    नेटवर्क एड्रेस ट्रांसलेशन के प्रकार (types of network address translation in hindi)

    NAT कुल तीन प्रकार के होते हैं- Static, डायनामिक और पोर्ट एड्रेस। इन तीनो कि विस्तृत चर्चा अब हम नीचे करेंगे।

    Static NAT

    इसमें एक सिंगल बिना रजिस्टर किये हुए IP एड्रेस को एक लेगल और रजिस्टर्ड यानी कि पब्लिक IP एड्रेस से मैप किया जाता है। इसे लोकल और ग्लोबल एड्रेस के बीच वन टू वन मैपिंग भी कहते हैं।

    इसका प्रयोग सामान्यतः वेब होस्टिंग के लिए किया जाता है। इन्हें आर्गेनाइजेशन में इसीलिए प्रयोग नहीं किया जाता क्योंकि बहुत सारे ऐसे डिवाइस होंगे जिन्हें इन्टरनेट एक्सेस की जरूरत होगी और उन्हें इन्टरनेट एक्सेस देने के लिए पब्लिक IP एड्रेस नहीं चाहिए होती।

    मान लीजिये तीन हजार ऐसे डिवाइस हैं जिन्हें इन्टरनेट एक्सेस चाहिए तो आर्गेनाइजेशन को उतने ही पब्लिक एड्रेस खरीदने पड़ेंगे और ये काफी महँगा भी हो जाएगा।

    डायनामिक NAT

    NAT के इस प्रकार में एक ऐसे IP एड्रेस को जो रजिस्टर्ड नहीं है, उसे रजिस्टर्ड यानी कि पब्लिक IP एड्रेस के पूल में से पब्लिक IP एड्रेस में कन्वर्ट किया जाता है।

    अगर पूल के अंदर का IP एड्रेस फ्री नहीं है यानी वो कहीं व्यस्त है तब पैकेट को ड्राप कर दिया जाता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि कुछ निश्चित संख्या में ही प्राइवेट IP एड्रेस को पब्लिक IP एड्रेस में कन्वर्ट किया जा सकता है।

    उदाहरण के तौर पर मान लीजिये, अगर कोई 2 पब्लिक IP एड्रेस का पूल है तो फी दिए गये समय में सिर्फ दो प्राइवेट IP एड्रेस को ही कन्वर्ट किया जा सकता है। अगर कोई तीसरा प्राइवेट IP एड्रेस इन्टरनेट एक्सेस करना चाहता है तो उसके पैकेट को ड्राप कर दिया जाएगा। इसीलिए बहुत सारे प्राइवेट IP एड्रेस को पब्लिक IP एड्रेस के पूल से मैप किया जाता है।

    NAT का प्रयोग तब किया जाता है जब इन्टरनेट एक्सेस करने वाले उपयोगकर्ताओं की संख्या निश्चित हो। ये बहुत महंगा भी है क्योंकि आर्गेनाइजेशन को एक पूल बनाने के लिए ढेरों IP एड्रेस खरीदने पड़ेंगे।

    पोर्ट एड्रेस ट्रांसलेशन (Port address translation in hindi)

    पोर्ट एड्रेस ट्रांसलेशन या PAT को NAT ओवरलोड के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बहुत से लोकल यानी कि प्राइवेट IP एड्रेस को एक सिंगल रजिस्टर्ड IP एड्रेस में ट्रांसलेट किया जा सकता है।

    पोर्ट संख्या का प्रयोग ट्रैफिक को अलग-अलग पहचानने के लिए किया जाता है। इस से ये पता चलता है कि कौन सा ट्रैफिक किस वाले IP एड्रेस का है।

    इसका बहुत प्रयोग किया जाता है क्योंकि ये कम खर्चीला होता है। इसके इतने ज्यादा उपयोग होने का उस से भी बड़ा कारण ये है कि इसमें एक पब्लिक यानी ग्लोबल IP एड्रेस से हजारों की संख्या में लोग कनेक्ट होकर इन्टरनेट चला सकते हैं।

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

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