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    नीरज चौपड़ा, हिमा दास

    भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा और तेज दौड़ लगाने वाली खिलाड़ी हिमा दास ने साल 2018 में भारत के लिए परचम लहराया और एथलेटिक्स को साहसी ओलंपिक की उम्मीदें दीं लेकिन परिचित डोप टेस्ट में कई खिलाड़ी पॉजिटिव पाए गए जिससे देश का मनोबल भी कम हुआ।

    2016 में भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने जूनियर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। भारत के लिए नया सितारा बनकर उभरे नीरज चोपड़ा ने इस साल राष्ट्रमंडल खेल और एशियन गेम्स में सीधा अपना भाला स्वर्ण पदक पर फेंका था और इन दोनो टूर्नामेंट में देश के लिए स्वर्ण पदक लेकर आए।

    पानीपत के खंदरा गाँव से छह फुट के इस खिलाड़ी ने सेलिब्रिटी का दर्जा प्राप्त किया, जिसने इस वर्ष के दौरान दो बार अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा। 88.06 मीटर के अंतिम गेम ने उन्हें एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।

    यदि इस साल नीरज प्रशंसको के स्टार थे तो, हिमा भी इतिहास रचने में पिछे नही रही और वह भारत की पहली ऐसी महिला खिलाड़ी बनी जिन्होनें विश्व स्तर पर स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। उन्होंने फिनलैंड में आईएएएफ वर्ल्ड अंडर -20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर की अंतिम दौड़ में शीर्ष स्थान प्राप्त किया था।

    हेमा से पहले किसी भी महिला ने किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण नहीं जीता था, चाहे वह युवा, जूनियर या सीनियर हो। वह विश्व स्तर पर ट्रैक इवेंट में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी हैं।

    दूसरी ओर, नीरज ने दो साल पहले दिखाए गए वादे पर खरा उतरना जारी रखा। नीरज ने प्रतिष्ठित डायमंड लीग सीरीज़ में 17 अंक जुटाकर चौथा स्थान हासिल किया, जो इस प्रकार अब तक किसी भारतीय द्वारा हासिल नहीं किया जा सका है।

    भारत के पास नीरज के रुप में 2020 टोक्यो ओलंपिक में मेडल दिलवाने वाला एक खिलाड़ी है।

    हिमा ने भी लगातार अच्छे साल का आनंद लिया। असम के धींग गाँव की 18 वर्षीय युवती रातों-रात स्टार बन गई क्योंकि उसने वर्ष के दौरान अपने प्रदर्शन में सुधार किया, एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने के दौरान हिमा ने 50.79 सैकेंड में दौड़ लगाई थी जो एक विश्व रिकॉर्ड के रुप में समापन हुआ था।

    लेकिन एक अंतरराष्ट्रीय अभिजात वर्ग बनने की उसकी राह आसान नहीं होगी क्योंकिआगे मैदान में अत्यधिक प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी भी है। हिमा ने इस साल का अंत सबसे तेज खिलाड़ियो की सूचि में विश्व में 23 स्थान पर रहकर किया है तो वही एशिया में वह दूसरे स्थान पर है।

    ट्रिपल जंपर अरपिंदर सिंह कांस्य के साथ आईएएफ कॉन्टिनेंटल कप में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने।वही घरेलू ऐथलेटिक्स जिंसन जॉनसन जो कि ज्यादातर 800 मीटर और 1500 मीटर की दौड़ में भाग लेते है उन्होने इस साल श्रीराम सिंह का 42 साल पहले का रिकॉर्ड भी तोड़ा था। उन्होने उनका रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 800 मिटर की रेस 45.65 सेकेंड में पूरी की थी।

    दुती चंद ( महिला 100 मीटर), मोहम्मद अनस (400 मीटर), जिंसन जॉनसन (1500 मीटर) और मुरली श्रीशंकर (लंबी कूद) वह ऐसे खिलाड़ी है जिन्होने इस साल राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया है।

    कुल मिलाकर, यह जकार्ता में एशियाई खेलों में 19 पदक (7 स्वर्ण, 10 रजत, 2 कांस्य) के साथ भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक संतोषजनक वर्ष था, 1978 बैंकाक खेलों के बाद उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

    लेकिन इस साल कुछ भारतीय एथलेटिक्स खिलाड़ी ने देश का मनोबल भी कम किया औऱ पांच खिलाड़ी डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए, जिसमें एशियन चैंपियन निर्मला शेरोन का नाम भी शामिल था।

    निर्मला के अलावा, मध्य दूरी के धावक संजीवनी यादव, झुमा खातुन, डिस्कस थ्रोअर संदीप कुमारी, शॉट पुटर नवीन ने मॉन्ट्रियल प्रयोगशाला में विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) द्वारा किए गए परीक्षणों में पॉजिटिव पाए गए।

    66.28 मीटर (2012 में हासिल) का राष्ट्रीय रिकॉर्ड रखने वाले गौड़ा सबसे अधिक सजाए गए भारतीय एथलीटों में से एक हैं, जिन्होंने 2013 और 2015 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है, लेकिन अब उन्होने डिस्कस थ्रो से इस साल सन्यास ले लिया है।

    उन्होंने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और 2014 ग्लासगो सीडब्ल्यूजी में एक स्वर्ण भी जीता। एशियाई खेलों में, उन्होंने 2010 में कांस्य और 2014 में रजत जीता था। उन्होंने 2004, 2008, 2012 और 2016 ओलंपिक में भाग लिया था।

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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