भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के कोच यूवे होन ने कहा उपकरणों की खरीद में देरी, अपर्याप्त सहायक स्टाफ, खराब आहार और अकल्पनीय योजना से नीरज के खेल में बहुत प्रभाव पड़ रहा है।
भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने साल 2018 में एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक जीता था।
द संडे एक्सप्रेस के एक विस्तृत ईमेल में, जो कि एक आभासी एसओएस है, जो कि प्रसिद्ध जर्मन थ्रोअर और नीरज के कोच होन ने लिखा है, “भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) के बहुत बुरे समर्थन के कारण, हमें ऐसे लोगों या कंपनियों से मदद चाहिए, जो जल्द से जल्द मदद कर सके क्यो हर हफ्ते धीरे-धीरे हम अपने उच्च लक्ष्यों तक पहुंचने का मौका खो देते हैं!”
होन, जो चोपड़ा और दूसरे देश के भालाफेंक खिलाड़ियो को इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (एनआईएस) में भाला फेंकने की कोचिंग देते है, उन्होने कहा ” नीरज की सफलता का जश्न कैसे बनाया जाए और 2010 टोक्यो ओलंपिक में वह मेडल जीतने के एक प्रबल दावेदार है लेकिन उनको बहुत बुरा समर्थन मिल रहा है।”
2020 टोक्यो ओलंपिक और विश्व अगले साल विश्व चैंपियनशिप में अब 2 साल से कम का समय बाकी बचा है, तो यह भारतीय एथलीटो के लिए ट्रैनिंग का यह अच्छा मौका है। 2018 में, 21 साल के भालाफेक खिलाड़ी ने विश्व में छह बहुत अच्छे थ्रो फेंके है और 88.06 मीटर के उनके प्रयास ने उन्हे जकार्ता में एशियाई खेलो में स्वर्ण पदक दिलाया है। 90 मीटर के करीब होने के साथ, वह 2020 टोक्यो ओलंपिंक में भारत के लिए पदक जीतने की गारंटी देते है। यह साल उनके लिए बहुत अच्छा रहा है।
56 साल के कोच होने ने अपने ईमेल में कहा है कि चोपड़ा की तैयारी आदर्श तैयारी से बहुत दूर है, जिसमें पुनर्प्राप्ति प्रणाली के लिए उनकी बार-बार मांग और शीर्ष गुणवत्ता वाले भाला नहीं मिले।
उन्होने कहा ” मैंने 2 भाला कंपनियो से संपर्क किया है और अपने उपकरणों की सूचि पटियाला ऑफिस भेजी है, लेकिन जब कंपनी को कोई आदेश नही मिला जब मैंने जांच की थी और मैंने पाया की वहा लोगो ने मेरे द्वारा भेजा गया हुआ मेल खोलकर तक नहीं देखा था। भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) इस प्रकार काम करती है।”