बिहार में इन दिनों शराब बंदी पर दोबारा बहस ने जन्म ले लिया है। 2016 में हुई शराब बंदी के बाद से विपक्ष ने सरकार को कई बार घेरा है परंतु इस बार विधानसभा के मानसून सत्र में नितीश कुमार ने बड़े फैसले लिए है।
मानसून सत्र के दूसरे ही दिन बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने शराब बंदी कानून में संशोधन को पारित कर दिया। इस संशोधन के उपलक्ष्य में नितीश कुमार ने सदन को बताया कि यह संशोधन गरीबो के लिए हैं।
बता दे की पिछले कुछ समय से यह खबर आ रही रही थी की इस कानून का दुरूपयोग हो रहा है। उसी के चलते नितीश कुमार ने इसमें संशोधन लाने के क़वायद करी थी।
सदन को संबोधित करते हुए नितीश कुमार ने कहा कि “गरीब लोग अपनी आय का बड़ा हिस्सा शराब खरीदने पर खर्च कर रहे थे। घरेलू हिंसा बढ़ गई थी। निर्दोषों को बचाने के उद्देश्य से संशोधन विधेयक लाया गया है।”
उन्होंने कहा कि “इस कानून के दुरुपयोग को रोकने पर सरकार का जोर है. निर्दोष लोगों को बचाने के लिए इसमें संशोधन किया गया है।” इस संशोधन से कुछ दिनों पहले ही नितीश कुमार ने कहा था कि ”अगर आप मुझसे पूछते हैं कि क्या हमें इस कानून में संशोधन करना चाहिए, तो मेरा जवाब हां है। हालांकि मैं अभी विस्तार से यह नहीं बता सकता कि हमारे कानूनी विशेषज्ञों ने बदलाव के लिए क्या काम किया है। 2 अक्टूबर 2016 को जब हमने नया आबकारी कानून लागू किया था, तो यह कहा गया था कि इसके कुछ प्रावधान काफी सख्त हैं। इसके बाद से हम ऐक्ट के दुरुपयोग की शिकायतें सुन रहे हैं।”
परंतु इस संशोधन मे अब काफी रिहायत दिख रही है। जहाँ पहले यह बहुत सख्त था पर अब बहुत ही ढील बरती है। जैसे पहली बार शराब पीने पर गैर जमानती वारंट के अलावा अब इसमें मात्र जुर्माने का प्रावधान हैं। विपक्ष ने भी सरकार की आलोचना करी हैं।
तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि , “शराबबंदी के बाद राज्य के लोग शराब के साथ पकड़े गए हैं। यह बिहार सरकार की जिम्मेदारी है कि राज्य की सीमाओं पर भी सुरक्षा बढ़ाई जाए, साथ ही उन फैक्ट्रियों पर भी लगाम लगे जहां से शराब राज्य में आ रही है।”